रांची। झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स और अपराध अनुसंधान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में साइबर जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री ने कहा कि वर्तमान प्रतिस्पर्धी परिवेश में जब लगभग सभी कार्यों में इंटरनेट का इस्तेमाल जरूरी हो गया है, साइबर अपराध की घटनाएं भी अप्रत्याशित रूप से बढ़ी हैं. जीएसटी के प्रभावी होने के बाद से तो विशेष कर व्यापारी वर्ग के सारे कार्य ऑनलाइन ही हो गये हैं. लेकिन दूसरी ओर धोखाधड़ी के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं. जिस कारण व्यापारिक गतिविधियों का संचालन कठिन हो गया है. उन्होंने यह भी कहा कि साइबर अपराध को अब बड़ी चुनौती के रूप में देखा जाना चाहिए. ऑनलाइन अपराधों को रोकने के लिए नियंत्रण और निगरानी प्रक्रिया को मजबूत किये जाने की जरूरत है. सरकार को इसके लिए सख्त नियम लाने की आवश्यकता है. यह जरूरी हो गया है कि धोखाधड़ी से किसी खाते से गबन किये गये पैसे की भरपाई बैंकों को करनी चाहिए.
बैठक में उपस्थित व्यवसायियों ने इस बात पर भी चिंता जतायी कि धोखाधड़ी की शिकायत करने पर पुलिस और साइबर थाना द्वारा भी तत्परता नहीं दिखायी जाती है. शिकायतकर्ता को बैंकों से भी विशेष सहयोग नहीं मिलता है. किस खाते में राशि हस्तांतरित की गयी है, बैंकों से इसकी जानकारी भी नहीं दी जाती है. मौके पर उपस्थित सीआइडी एसपी कार्तिक एस ने व्यापारियों को साइबर फ्रॉड से बचाव के उपाय बताये. सेफ ब्राउजिंग, थर्ड पार्टी कुकीज को बैन करने, किसी भी लिंक को नहीं खोलने, अपना ओटीपी किसी से शेयर नहीं करने समेत कई सुझाव दिये. उन्होंने यह भी कहा कि ठगी का शिकार होने पर गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी टॉलफ्री नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज करें. जितनी जल्दी शिकायत दर्ज होगी, ठगी के पैसे रिकवरी होने में आसानी होगी. शिकायत नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल cybercrime.gov.in पर भी दर्ज की जा सकती है.
इस दौरान साइबर क्राइम की डीएसपी नेहा बाला के अलावा अपराध अनुसंधान, साइबर पुलिस के पुलिस निरीक्षक एवं विभागीय कर्मी समेत चैंबर सदस्य मौजूद रहे.