गबन और नक्सल हिंसा से जुड़े करीब 85 मामले पांच वर्षों से अधिक समय से लंबित हैं

पलामू। तीन जिलों पलामू, गढ़वा और लातेहार में पांच वर्षों से भी अधिक समय से 85 मामलों का अनुसंधान लंबित है . अधिकतर मामले में सरकारी योजना में गबन और नक्सल हिंसा से जुड़े हुए हैं. गमन के कई ऐसे मामले हैं जिनमें एक दशक बाद भी अधिकारियों का नाम और पता सत्यापित नहीं हुए हैं. सभी 85 मामले सरकार और जिला प्रशासन द्वारा अभियोजन नहीं मिलने के कारण लंबित हैं. इसका खुलासा विभागीय जांच में हुआ है.

पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों से 5 वर्ष या उससे अधिक समय से लंबित मुकदमों के अनुसंधान की जानकारी मांगी है. पुलिस मुख्यालय ने अभियोजन नहीं मिलने से मुकदमों की स्थिति के बारे में भी अवगत कराने को कहा है. पुलिस मुख्यालय द्वारा रिपोर्ट मांगे जाने के बाद इस बात का खुलासा हुआ है कि पलामू गढ़वा और लातेहार में 85 ऐसे मामले हैं जिसका अभियोजन नहीं मिला है और सबका अनुसंधान पांच वर्षों से भी अधिक समय से लंबित है.

गबन और नक्सल हिंसा से जुड़े हुए है अधिकतर मामले

पांच वर्ष या उससे अधिक 85 मामलों में 40 ऐसे मामले है जो सरकारी योजना की राशि गबन के हैं. जबकि 30 से अधिक नक्सल हिंसा से जुड़े हुए हैं. आधा दर्जन के करीब ऐसे मामले हैं जो सीआईडी को ट्रांसफर होना है या हो गए हैं. पुलिस के वरीय अधिकारियों द्वारा समीक्षा में पाया गया है कि सरकारी योजना के गबन संबधी मामले में संबंधित विभाग द्वारा आरोपी अधिकारियों के नाम पता सत्यापित नहीं किए गए हैं. जबकि अभियोजन के बीच स्वीकृति नहीं मिली है. नक्सल हिंसा से जुड़े कई मामलों में यूएपीए के धाराओं में एफआईआर दर्ज किया गया, इन धाराओं से जुड़े हुए मामलों में नक्सलियों सिर्फ सरकार द्वारा अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिली है.

प्रमुख कांड कौन कौन से हैं

मनातू कांड संख्या 10/14

नक्सलियों ने 2014 में चक पिकेट पर हमला किया था. मामले में नक्सलियो के खिलाफ 17सीएलए एक्ट, 307, यूएपीए के धाराओं में एफआईआर दर्ज किया गया था. मामले में तीन नक्सलियों की मौत हो चुकी है, जबकि 8 नामों का सत्यापन हो चुका है. मामले में सरकार स्तर से यूएपीए के धाराओं में अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिली है जिस कारण मुकदमे का अनुसंधान लंबित है.

मेदिनीनगर टाउन थाना 85/13

ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल में योजनाओं के क्रियान्वयन में गड़बड़ी को लेकर कई इंजीनियर समेत कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. पूरे मामले में इंजीनियर जमानत पर हैं जबकि दो इंजीनियरों की मौत हो गई, जबकि 10 आरोपी इंजीनियर और कर्मचारियों का ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल द्वारा नामों का सत्यापन तक नहीं किया गया है. जिस कारण मुकदमे के अनुसंधान आगे नहीं बढ़ पाई है, जबकि मामले में विभाग द्वारा अभियोजन की स्वीकृति नहीं दी गई है.

मनातू कांड संख्या 17/10

मामले में तत्कालीन मनातू बीडीओ, इंजीनियर समेत कई आरोपियों खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, सभी पर सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में गड़बड़ी के आरोप लगे थे. इस कांड से जुड़े हुए छह अधिकारियों के नाम आज तक सत्यापित नहीं हुए हैं. विभाग द्वारा अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिली है.

सतबरवा कांड संख्या 62/16

यह अपहरण का मामला है. पूरे मामले में आज तक अपहृत या उसके शव को बरामद नहीं किया गया है. पूरे मामले में आज तक अपहृत और अपहरणकर्ताओं का पता नहीं चला है.

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