रांची। फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री में तृतीय और चतुर्थ वर्ग के रिक्त पदों पर नियुक्ति मामले की झारखंड हाईकोर्ट में शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की कार्यशैली पर कड़ी नाराजगी जताई. कोर्ट ने अगली सुनवाई में गृह सचिव को कोर्ट में सशरीर उपस्थित होकर मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने झारखंड स्टाफ सिलेक्शन कमीशन ( जेएसएससी ) से भी कहा है कि सरकार द्वारा उसे नियुक्ति से संबंधित जो अधियाचना भेजी गई है, उस पर इंस्ट्रक्शन लेकर कोर्ट को वह बताए. मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में हुई. बताया जा रहा है कि इस मामले में राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दाखिल कर बताया गया कि फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री में चतुर्थवर्गीय पदों के लिए जेएसएससी को अधियाचना भेज दी गई है. आउटसोर्सिंग पर लिए गए कर्मियों को रेगुलराइज करने के लिए बैठक की जा रही है. इस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई. अपने मौखिक टिप्पणी में कोर्ट ने कहा कि जब कोर्ट एफएसएल में नियुक्ति के संदर्भ में मॉनिटरिंग कर रहा है तो कोर्ट से बिना पूछे हुए कैसे इस संबंध में बैठक की जा रही है. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 9 नवंबर निर्धारित की.
पूर्व की सुनवाई में अदालत ने सरकार से पूछा था कि तृतीय और चतुर्थ वर्ग के कितने पद स्वीकृत हैं साथ ही रिक्त पदों की संख्या और काम कर रहे कर्मचारियों की संख्या कितनी है. सरकार से इस संबंध में जानकारी शपथ पत्र के माध्यम से मांगी गई थी. सरकार की ओर से पूर्व में बताया गया था कि रिक्त पदों पर जेपीएससी और जेएसएससी की ओर से जो अनुशंसा की गई थी, उसकी नियुक्ति हो गई है जिसके बाद कोर्ट ने अन्य पदों के बारे में जानकारी मांगी थी.जेएसएससी की ओर से संजय पिपरवाल, प्रिंस कुमार, राकेश रंजन ने पैरवी की।