रांची। भारतीय जनता पार्टी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश के बयान ने जेएमएम का पारा चढ़ा दिया है . सांसद दीपक प्रकाश की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद रविवार को ही जेएमएम नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने जवाबी प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने भाजपा नेता पर झूठ बोलने का आरोप लगाया. कहा कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के बयान से भाजपा का एक और झूठ उजागर हो गया है.
यह कहा था दीपक प्रकाश ने
दरअसल रविवार को झारखंड भाजपा अध्यक्ष ने संवाददाता सम्मेलन कर कहा था कि कुछ महीने पहले राज्यभर में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव दलीय आधार पर नहीं हुए थे. इसके बावजूद भाजपा के नेताओं, कार्यकर्ताओं को जिला परिषद, मुखिया और पंचायत सदस्य के 51 प्रतिशत से अधिक सीट पर जनता का समर्थन मिला. दीपक प्रकाश ने कहा कि 18 अक्टूबर को इन विजयी कार्यकर्ताओं को हरमू मैदान में सम्मानित करेंगे. सांसद दीपक प्रकाश ने कहा है कि इसके साथ उनके संग बैठकर राज्य की हर मोर्चे पर फेल सरकार के खिलाफ संघर्ष की रणनीति बनाएंगे.
क्या बोले सुप्रियो भट्टाचार्य
सांसद दीपक प्रकाश के इस बयान पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का पारा चढ़ गया. जेएमएम के वरिष्ठ नेता और सोरेन परिवार के करीबी सुप्रियो भट्टाचार्य ने संवाददाता सम्मेलन कर कहा कि भाजपा का एक और झूठ उजागर हो गया है. एक ओर गांव गांव से भागो भाजपा की आवाज आ रही है तो इस आवाज को सुनने की जगह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश अपनी पुरानी परंपरा झूठ बोलो, जोर से बोलो और बार बार बोलो का मंत्र दोहरा रहे हैं.
और क्या बोले सुप्रियो भट्टाचार्य
झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि मिस्ड कॉल से विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनने वाली भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर राज्य की जनता और खासकर ग्रामीणों को बरगलाने में लगी है. यह वह पार्टी है जो मिस्ड कॉल के भरोसे सबसे बड़ी पार्टी बनने का दावा तो करती है पर जब उसके कार्यकर्ता कश्मीर और राजस्थान में आतंकी आपराधिक घटनाओं में लिप्त पाए जाते हैं तो वह यह कहने लगती है कि आरोपी से उनका कोई नाता नहीं है, वह तो मिस्ड कॉल से भाजपा का सदस्य बना था. ऐसे में समझा जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश फिर अपनी पुरानी परंपरा पर लौट आए हैं और पंचायत की सरकार में भाजपा के बहुमत जैसा सफेद झूठ बोल रहे हैं.
राज्यपाल पर साधा निशाना
झारखंड मुक्ति मोर्चा नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि जिस तरह से संस्थानों को सरकार टूल की तरह इस्तेमाल कर रही है, उसका एक उदाहरण है कि सरायकेला खरसावां में एक निजी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल कहते हैं कि लिफाफा कब खोलेंगे, कब नहीं खोलेंगे, यह उनका विशेष अधिकार है. दरअसल राज्यपाल इस वजह से दुविधा में पड़े हुए हैं कि एक ही तरह का दो -दो लिफाफा उनके पास पहुंच गया है. एक भारत निर्वाचन आयोग से और दूसरा भाजपा से इससे वे समझ ही नहीं पा रहे हैं वह कौन सा लिफाफा खोलें और कौन सा लिफाफा नहीं खोलें क्योंकि दोनों लिफाफे देखने में एक जैसे ही हैं.
केंद्र सरकार पर भी निशाना
झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्य इतने पर ही नहीं रूके, उन्होंने केंद्र की भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि वह राज्य की लोकप्रिय और निर्वाचित हेमंत सोरेन सरकार के बढ़ते कदम को रोकना चाहती है. लेकिन झारखंड की जनता और खासकर ग्रामीण जनता 32 खतियान आधारित स्थानीय नीति, ओबीसी 27% आरक्षण, निजी कंपनियों में भी स्थानीय को 70% आरक्षण, यूनिवर्सल पेंशन योजना के बाद कह रही है भागो भाजपा. ऐसे में भाजपा के विधायक ,सांसद गांव में प्रवेश तक नहीं कर रहे हैं और दावा गांव की सरकार के पंचायत प्रतिनिधियों में बहुमत की कर रहे हैं.