रांची। गांव, पंचायतों में शिक्षा का स्तर बेहतर करने की एक और कवायद शुरू हुई है. इसके लिये राज्य सरकार तैयारियों में लगी है. इसके तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 में पंचायत ज्ञान केंद्र खोले जाएंगे. पंचायती राज विभाग, झारखंड के मुताबिक इस पर फिलहाल 21 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गयी है. जिन पंचायतों में ज्ञान केंद्र खोले जाएंगे, उसके चयन के लिए एक चयन संबंधी समिति जिले स्तर पर गठित होगी. 2022-23 से प्रारंभ होने वाली इस योजना के पहले साल में 500 ग्राम पंचायतों को लाभ मिलेगा. 2023-24 में 1000, 2024-25 में 1000 और 2025-26 में भी 1000 और 2026-27 में शेष पंचायतों में इसे लागू किए जाने की तैयारी है.
पंचायतों का ऐसे होगा चयन
पंचायतों का चयन करने को एक समिति को टास्क मिला है. इसमें जिला परिषद के सीइओ और डीडीसी अध्यक्ष होंगे. जिला पंचायती राज पदाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी, डीपीएम इसमें सदस्य हैं सभी जिले से 4:1 (हर 4 प्रखंड में से 1 प्रखंड) के आधार पर कुल 66 प्रखंड का चयन किया जाना है. स्वशाषी परिषद् से प्रखंड समन्वयक उस प्रखंड में प्रतिनियुक्त हों. चिन्हित प्रखंड के 5 से लेकर 9 ग्राम पंचायतों को चयन किया जा सकता है. प्रज्ञा केंद्र पंचायत में होने चाहिये जिनमें बिजली और इंटरनेट सुविधा होनी चाहिये. प्रखंड एवं पंचायतों के चयन में आदर्श ग्राम पंचायत और खास योजनाओं से जुड़े पंचायतों को उसमें जरूर शामिल करें. महिला संगठनों की भागीदारी वाले ग्राम पंचायतों को चुना जाये. पंचायती राज विभाग ने दीपावली से पहले तक चयनित ग्राम पंचायतों की मांग भी चयन समिति से की है.
क्या है पंचायत ज्ञान केंद्र का मकसद
पंचायत ज्ञान केंद्र का उद्देश्य गांवों में पठन-पाठन की प्रवृत्ति को बढ़ावा देना है. ग्रामीण लोगों में पढ़ने, स्व-शिक्षा और सीखने की संस्कृति को बढ़ावा देना और क्षमता में सुधार करना. समुदाय के लिए एक सामाजिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित करना, सही समय पर सही जानकारी देना और दुनिया के ज्ञान से समुदाय को जोड़ना, ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से ज्ञान का आदान-प्रदान करना, ई-लर्निंग संसाधन के डिजिटल भंडार का रख-रखाव और प्रबंधन जैसे कार्य शामिल हैं.
ज्ञान केंद्र के ये भी होंगे काम
पंचायती राज विभाग के मुताबिक पंचायती राज संस्थानों के सदस्य, किसानों, महिलाओं और युवाओं के लिए सप्ताह में सातों दिन प्रशिक्षण और शिक्षा की सुविधा ज्ञान केंद्र के सहयोग से मिलेगी. सरकार के महत्वपूर्ण योजनाओं का प्रचार-प्रसार, उपयोगकर्ता के अनुकूल प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण मॉड्यूल का विकास, जन जागरूकता और अभिविन्यास (कंवर्जेंस) कार्यक्रमों का कार्यान्वयन, विभिन्न एजेंसियों द्वारा पहले से विकसित आईईसी सामग्री का उत्कृष्ट उपयोग भी इस केंद्र से होगा. बाजार की जानकारी तक पहुंच बनाना और सेवाओं का समर्थन करना, ग्रामीण उद्यमियों, एसएचजी आदि के लिए आय के अवसर पैदा करने में भी यह अहम रोल अदा करेगा. पंचायत लाइब्रेरी पंचायत भवन में स्थापित किये जा सकते हैं. जहां जगह उपलब्ध ना हो, वहां पंचायत में उपलब्ध किसी और अन्य खाली सरकारी भवन में इसे स्थापित किया जा सकता है.
इनकी रहेगी उपलब्धता
पंचायत ज्ञान केंद्र में कई जरूरी सामग्रियां उपलब्ध करायी जाएंगी. इनमें स्टील बुक अलमीरा (4), डेस्क (2), प्लास्टिक कुर्सी (20), कंप्यूटर टेबल एवं कुर्सी (2), डेस्कटॉप कंप्यूटर (कैमरा) एवं यूपीएस (2), प्रिंटर (2), एलइडी स्क्रीन (2), वाटर प्यूरिफायर (1), सूचना बोर्ड (1), पंखा (2), मैगजीन स्टैंड (1), स्टील अलमीरा (1), सोलर लाइट (4) और स्टेशनरी की सामग्रियां रहेंगी.
ऐसे होगा संचालन
लाइब्रेरी में पुस्तकों का संग्रह बढ़ाने को राज्य भर में पुस्तकें जुटाने को एक विशेष दान अभियान को बढ़ावा दिया जायेगा. पुस्तकालय को इंटरनेट के माध्यम से राज्य स्तर पर प्रबंधित केंद्रीय डिजिटल पुस्तकालय भंडार से जोड़ा जायेगा. नियमित अंतराल पर विभिन्न विषयों पर इससे ऑनलाईन विषयवस्तु उपलब्ध करायी जायेगी. लाइब्रेरियन का चयन लाइब्रेरी के संचालन के लिए होगा. पंचायत की निगरानी में पुस्तकालय प्रबंधन एवं सलाह समिति गठित होगी. पुस्तकालय के स्व-अर्जित आय के लिए नियम बनेंगे. पुस्तकालय के रख-रखाव, अपग्रेड, स्टेशनरी, लाइब्रेरियन को मानदेय एवं अन्य खर्चों के संबंध में समिति से अनुमोदन लेकर खर्च किया जायेगा. मुखिया की अध्यक्षता में हर पंचायत में एक पुस्तकालय प्रबंधन एवं सलाह समिति बनेगी. इसमें पंचायत सेवक, स्वयंसेवक, वार्ड सदस्य-शिक्षा स्वास्थ्य और वन एवं पर्यावरण समिति, पंचायत के एक रिटायर्ड टीचर, पंचायत में ही पढ़े 2 युवा जो वर्तमान में रोजगार या कोई काम करते हों, महिला संगठन से संबंधित 2 महिलाएं, पंचायत अंतर्गत स्कूलों के 5-6 हेडमास्टर और 1 लाइब्रेरियन को भी इसमें सदस्य के तौर पर रखा जाना है. पुस्तकालय निधि, खाता एवं प्रबंधन, मानव संसाधन, प्रखंड समन्वयक की भूमिका औऱ अन्य बिंदुओं पर भी पंचायती राज विभाग ने गाइडलाइन दिये हैं.