रांची। पत्थर खनन पट्टा को अवधि विस्तार मिलें दो साल बीत चुके है. कोविड के बाद सिंतबर 2020 में राज्य सरकार ने मार्च 2022 तक के लिये पत्थर खनन के लिये लीज धारकों को अवधि विस्तार किया था. अब यह अवधि विस्तार खत्म हो चुकी है. इससे विशेष परेशानी कोडरमा, साहेबगंज, गोड््डा समेत अन्य जिलों के पत्थर व्यवसायियों को हो रही है. इस संबध में पत्थर उद्योग संघ की ओर से मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया है. संघ की मानें तो मार्च 2020 से मार्च 2022 तक का विस्तार मिला. सरकार के इस अधिसूचना के बाद खनन पट्टों के अवधि विस्तार के लिये विभिन्न विभागीय कार्यालयों से जैसे पर्यावरणीय सहमति, माइनिंग प्लान का अनुमोदन, प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से अनापति प्रमाण पत्र समेत अन्य प्रक्रिया पूरी करने में 6 से 8 माह का समय व्यतीत हो गया.जिससे खनन एक साल या इससे भी कम समय के लिये किया गया. ऐसे में मांग की जा रही है कि आने वाले तीन साल के लिये फिर से खनन पट्टा निर्गत किया जायें.
खनन पूरा नहीं होने से राजस्व का नुकसान
राज्य सरकार ने पत्थर व्यवसायियों को दो साल का पट्टा निर्गत किया. लेकिन ये दो साल सुचारू रूप से खनन नहीं किया गया. जिससे राज्य सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हुआ. इतना ही नहीं, क्षेत्र में खनन में निर्भर रोजगार भी खत्म होने की संभावना है. जो हजारों की संख्या में है. संघ की मानें तो पत्थर खनन कोडरमा जिला का मुख्य आजीविका का साधन है. जहां खनन अवधि समाप्त होने के बाद से पत्थर खनन बंद है. ऐसे में रोजगार को ध्यान में रखते हुए अवधि विस्तार की मांग की गयी है. जानकारी हो कि कुछ खनन पट्टाधारकों की अवधि अभी भी तीन साल तक है. लेकिन अधिकांश की अवधि खत्म हो चुकी है. जिसके बाद अवधि विस्तार की मांग की जा रही है.
कुछ राज्यों ने की विशेष व्यवस्था
संघ के शिव कुमार वर्णवाल ने बताया कि हाल के वर्षों में राजस्थान, छतीसगढ़ जैसे राज्यों में लघु खनिज नियमावली को लचीला एवं सुगम बनाते हुए राज्य सरकार ने लगभग 20 वर्षों के लिए भी अवधि विस्तार दिया. जिससे खनन पट्टों में योजनाबद्ध तरीके से खनन कार्य किया जायें. जिससे उन राज्यों में न सिर्फ सरकार को राजस्व की प्राप्ति हो रही है. साथ हीं खनन कामगारों, खनन उद्यमियों और स्थानीय व्यपारियों को भी रोजगार प्राप्त हो रहा है. इसी तर्ज पर राज्य सरकार से भी अवधि विस्तार की मांग की गयी है.