रांची। झारखंड स्टेट बार काउंसिल द्वारा राज्य सरकार की कोर्ट फी अमेंडमेंट एक्ट को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर अब झारखंड हाईकोर्ट में 9 नवंबर को सुनवाई होगी. सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन की ओर से कोर्ट को बताया गया की कोर्ट फी को लेकर बनी 3 सदस्यीय कमेटी की कई बैठकें हुई है, जिसमें उन्होंने भी भाग लिया है. कमेटी की अंतिम बैठक 3 नवंबर को तय हुई है उस दिन निर्णय हो जाने की संभावना है.
कोर्ट ने निर्णय के बारे में शपथ पत्र के माध्यम से जानकारी देने का निर्देश दिया है. साथ ही शपथ पत्र की प्रतियां केस से संबंधित सभी अधिवक्ताओं को देने का निर्देश भी दिया है. सुनवाई के दौरान कोर्ट फीस बढ़ोतरी के कानून पर स्थगन को लेकर एक आवेदन भी डाला गया. कोर्ट ने कहा कि उस पर भी सुनवाई होगी. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में मामले की सुनवाई गुरुवार को हुई. पूर्व में राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि कोर्ट फीस बढ़ोतरी मामले में सुधार के लिए 3 सदस्यीय समिति बनाई है. इस कमेटी के अध्यक्ष राजस्व पर्षद सदस्य होंगे, जबकि वित्त एवं विधि विभाग के प्रधान सचिव इसके सदस्य के रूप में है. मामले में झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णा ने पैरवी की. वहीं एमिकस क्यूरी के रूप में वरीय अधिवक्ता वीपी सिंह ने पैरवी की.
क्यों हो रहा है विरोध
पूर्व की सुनवाई में राजेंद्र कृष्ण ने मामले में पैरवी करते हुए कोर्ट से कहा था कि कोर्ट फीस में बेतहाशा वृद्धि से समाज के गरीब तबके के लोग कोर्ट नहीं आ पायेंगे और वकीलों को भी अतिरिक्त वित्तीय भार का वहन करना पड़ेगा. काउंसिल ने यह भी कहा है कि कोर्ट फीस की वृद्धि से लोगों को सहज व सुलभ न्याय दिलाना संभव नहीं है.राज्य सरकार का कोर्ट फीस एक्ट गलत है. यह संविधान के खिलाफ है. साथ ही यह सेंट्रल कोर्ट फीस एक्ट के भी विरुद्ध है.