रांची। झारखंड की पहचान हरियाली और जंगल-झाड़ ही है. झारखंड का नाम सुनकर लोगों में यह आम धारणा बनती है कि यहां की हवा काफी स्वच्छ होगी. जो सेहत के लिये अनुकूल है, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है. एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) के आंकड़ों से यह साफ पता चलता है. रिपोर्ट के अनुसार 21 अक्टूबर को दोपहर 3 बजे झारखंड में पिछले 24 घंटे का औसत एआईक्यू 182 रिकॉर्ड किया गया, जबकि इसी अवधि में पूरे देश की औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स 136 थी. इन 24 घंटों में 20 अक्टूबर की रात 8 बजकर 37 मिनट पर सबसे खराब एआईक्यू 252 मापा गया, जबकि सबसे बेहतर आईक्यू 21 अक्टूबर को दिन के 2.35 मिनट पर 112 रिकॉर्ड किया गया. इस राज्य के तकरीबन सभी प्रमुख शहरों की हवा में प्रदूषण का जहर घुल रहा है. जनवरी, 2020 में एयर पॉल्यूशन पर ग्रीनपीस इंडिया की रिपोर्ट में झारखंड के झरिया शहर को देश का सबसे प्रदूषित शहर आंका गया था.
केंद्र ने धनबाद, रांची, रामगढ़ और जमशेदपुर की हवा को स्वास्थ्य के लिये खतरनाक बताया था
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने 2015 से 2019 के आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद देश के 124 शहरों की हवा को स्वास्थ्य के लिए खतरनाक पाया था. इन शहरों की सूची में झारखंड के धनबाद, रांची, रामगढ़ और जमशेदपुर शहर भी शामिल थे.
झारखंड स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने स्टार रेटिंग प्रोग्राम लॉन्च किया
झारखंड स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने इसी महीने यानी अक्टूबर में झारखंड की औद्योगिक इकाइयों से फैलने वाले प्रदूषण से आम लोगों को अवगत कराने के लिए स्टार रेटिंग प्रोग्राम लॉन्च किया है. यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो की इकाई एपिक इंडिया के सहयोग से लाए गए इस प्रोग्राम के जरिए प्रदूषण और इसके नियंत्रण के उपायों के आधार पर औद्योगिक इकाइयों की रेटिंग की जा रही है और इसका ब्योरा वेबसाइट पर जारी किया जा रहा है.
झारखंड की 68 औद्योगिक इकाइयों में से 36 रेड कैटेगरी के
वेबसाइट पर झारखंड की 68 औद्योगिक इकाइयों का ब्योरा दर्ज है. इसके मुताबिक सितंबर 2022 में इन 68 में से 36 औद्योगिक इकाइयों को रेड यानी खतरनाक कैटेगरी में रखते हुए एक स्टार की रेटिंग दी गई है. मात्र 23 औद्योगिक इकाइयां ऐसी हैं, जिन्हें प्रदूषण नियंत्रण के उपायों के लिए 5 स्टार रेटिंग दी गई है. 5 उद्योगों को फोर स्टार, 3 उद्योगों को थ्री स्टार और एक उद्योग को 2 स्टार रेटिंग दी गई है.
झारखंड की आबोहवा को शहरीकरण ने प्रभावित किया है
झारखंड की आबोहवा को शहरीकरण ने गहरे तौर पर प्रभावित किया है. झारखंड सरकार के वर्ष 2019-20 के आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक राज्य की शहरी आबादी 24.05 प्रतिशत है, जो हर वर्ष 2.3 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है. वहीं, राज्य में गाड़ियों की संख्या लगातार बढ़ रही है.