विधायक समरीलाल के जाति प्रमाण पत्र पर छिड़ी “जंग”, चुनाव आयोग, अदालत और राज्यपाल के यहां मामले दर्ज

रांची। कांके के भाजपा विधायक समरीलाल के जाति प्रमाण पत्र को लेकर कई मोर्चों पर “जंग” चल रही है. एक और अदालत में रिट याचिका दायर है जिस पर छठ पूजा के बाद सुनवाई होनी है. इसके साथ ही इससे संबंधित मामले भारत निर्वाचन आयोग एवं राज्यपाल के यहां विचाराधीन है.

राज्य जाति छानबीन समिति के द्वारा कांके विधायक समरीलाल का जाति प्रमाण पत्र खारिज किए जाने के मामले में सुनवाई झारखंड हाईकोर्ट में छठ पूजा अवकाश के बाद होगी. हालांकि, इस मामले में पूर्व की सुनवाई में समरी लाल के हस्तक्षेप याचिका जिसमें उन्होंने जाति प्रमाण पत्र रद्द करने पर रोक की मांग की थी, उसे निष्पादित कर दिया था और उन्हें फिर से आवेदन देने को अदालत ने कहा था. पिछली सुनवाई 18 अक्टूबर को हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राजेश शंकर की कोर्ट में सूचीबद्ध थी, लेकिन सुनवाई उस दिन नहीं हो सकी थी.

समरी लाल की ओर से उनके जाति प्रमाण पत्र निरस्त किए जाने को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए रिट याचिका दायर की गई है. इसमें कहा गया है कि वे झारखंड के मूल निवासी हैं. लोकल इंक्वायरी के तहत उन्हें जाति प्रमाण पत्र निर्गत किया गया है. जो जाति प्रमाण पत्र वेरिफिकेशन और इंक्वायरी के तहत निर्गत की जाती है उसपर सवाल नहीं उठाया जा सकता, ऐसा सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों में कहा गया है. जाति प्रमाण पत्र रद्द करने का अधिकार जाति छानबीन समिति को नहीं है.

बता दें कि सुरेश बैठा इस मामले को राज्यपाल के समक्ष भी उठाया है. राजपाल ने भारत निर्वाचन आयोग से इस मामले में सुझाव मांगा है. निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में समरी लाल को नोटिस जारी कर उनसे जवाब भी मांगा है.

दूसरी ओर झारखंड प्रदेश भाजपा ने भी राज्यपाल के समक्ष समरी लाल के जाति प्रमाण पत्र के मामले में सरकारी षडयंत्र लगाए जाने का भी आरोप लगाया. कहा कि कांके सीट से निर्वाचित समरीलाल का जाति प्रमाण पत्र बगैर किसी आधार के स्थानीय जांच में रद्द कर दिया गया है. रांची डीसी द्वारा समर्पित प्रतिवेदन में स्थानीय जांच के समय कोई सूचना या नोटिस समरी लाल को नहीं दी गयी. एकतरफा प्रतिवेदन तैयार कर दिया गया. 1943 से समरी के पूर्वज वाल्मीकि नगर, हरमू रोड, रांची में निवासित हैं. समरीलाल का जन्म और शिक्षा भी रांची में हुई. 1985 में निर्दलीय चुनाव लड़ने के अलावे समरी लाल 1990-95 में जनता दल, 2000 में राजद, 2005-2009 में झामुमो और 2019 में भाजपा से चुनाव लड़े. पर इस अवधि में कभी भी उनके जाति प्रमाण पत्र को गलत नहीं बताया गया. अब सरकारी षडयंत्र के तहत ऐसा किया गया है जिस पर राज्यपाल संज्ञान लेते हुए इस पर रोक लगाएं.

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