किरीबुरू। सारंडा ग्राम सभा परिषद द्वारा “आस” एंव आदिवासी समन्वय समिति पर लगाए गए आरोपों की संगठन के संयोजक सुशील बारला ने कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा है कि परिषद द्वारा आस एंव आदिवासी समन्वय समिति पर लगाए गए आरोप पूर्ण रूप से मनगढ़न्त, बेबुनियाद एवं राजनीति से प्रेरित है. परिषद, हमारी दोनों संगठन की लोकप्रियता से घबराकर इस तरह का बेबुनियाद आरोप लगा रहा है. ऐसे आरोपों से हमारी संगठन विचलित होने वाली नहीं है. जहां तक 10 वनग्राम को राजस्व ग्राम का दर्जा की बात है तो इसके लिए “आस” व आदिवासी समन्वय समिति लगातार अभियान चलाते आया है और आगे भी चलाता रहेगा.
आनन-फानन में मुख्यमंत्री से मिला था परिषद : बारला
बीते 10 अक्टूबर को “आस” ने प्रखण्ड वासियों की बैठक बुलाकर सर्वसम्मति से ज्वलन्त जन समस्याओं के समाधान को लेकर प्रखण्ड मुख्यालय, मनोहरपुर में धरना-प्रदर्शन के माध्यम से उच्च अधिकारीयों को ज्ञापन देने का निर्णय लिया था. इसी से घबराकर परिषद के तथाकथित लोग आनन-फानन में मुख्यमंत्री से मिले व ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में क्या मांगे थी ग्रामीणों को इसकी जानकारी भी नहीं है. लोकतंत्र में सबको अपनी बात रखने का अधिकार है. ऐसे में परिषद द्वारा “आस” व आदिवासी समन्वय समिति के कार्यक्रम का विरोध व वन ग्रामों में प्रवेश पर रोक राजनीति से प्रेरित है. परिषद के तथाकथित लोग सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए इस तरह का बयानबाजी कर रहा है. इससे हमारा संगठन को कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है.
लड़ाई आगे भी जारी रखने की घोषणा
सुशील बारला ने कहा कि वह सिर्फ सारंडा के 10 गांवों के विकास व वन ग्राम को राजस्व गांव का दर्जा देने के लिये हीं नहीं बल्कि सभी गांवों के विकास की लडा़ई वर्षो से लड़ते आ रहे हैं और आगे भी लड़ते रहेंगे. बता दें कि है कि सारंडा ग्राम सभा परिषद ने बीते दिन तिरिलपोसी में बैठक कर “आस” एंव आदिवासी समन्वय समिति पर ग्रामीणों को गुमराह करने का आरोप लगाया था. इसके साथ ही संगठन के लोगों को गांव में नहीं घुसने देने की घोषणा की थी.