रांची। झारखंड में चल रही कल्याणकारी और रोजगारोन्मुखी योजनाओं में किसी तरह के फंड की कमी नहीं हो, इसके लिए हेमंत सोरेन सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है. सरकार अब राज्य की आकस्मिक निधि से 1200 करोड़ रुपए तक की निकासी कर सकेगी. पहले यह राशि 500 करोड़ रुपये तक की थी. सरकार का तर्क है कि राज्य गठन के बाद का बजटीय आकार में काफी बढ़ोतरी हुई है. 2001-02 में राज्य का बजटीय आकार 7114.12 करोड़ रुपए था, जो 2015–16 में 55,492.95 करोड़ रुपए हो गया. वर्तमान में राज्य का बजटीय आकार 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक का हो गया है. ऐसे में कल्याणकारी योजनाओं को तेजी से धरातल पर उतारने और भविष्य की आवश्यकता की पूर्ति के लिए आकस्मिक निधि को पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है. बता दें कि हाल में राज्य सरकार ने कई रोजगारोन्मुखी योजनाओं की शुरूआत की है.
संविधान के अनुच्छेद 267 (2) में है ‘राज्य आकस्मिक निधि’ का प्रावधान
कभी-कभी ऐसी परिस्थिति बनती है, जब सरकार को विधानसभा से स्वीकृति लिए बिना ही योजनाओं के लिए राशि खर्च करनी पड़ती है. इस तरह का खर्च करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 267 (2) ‘राज्य आकस्मिक निधि’ का प्रावधान किया गया है. यह निधि राज्यपाल या कार्यपालिका या सरकार के अधीन होती है. इस निधि से पैसा निकालने के लिए विधानसभा की इजाजत की जरूरत नहीं होती है. लेकिन विधानसभा ही तय करती है कि निधि में कितना पैसा होगा और कितने की निकासी होगी.
2001 में अधिनियम बना, 2015 में पहली बार किया गया था संशोधन
राज्य गठन के बाद झारखंड राज्य आकस्मिक निधि 2001 का गठन किया गया था. अधिनियम में 150 करोड़ रुपए तक की निकासी का प्रावधान किया गया था. झारखंड आकस्मिक निधि (संशोधन) अधिनियम 2015 में इस राशि को बढ़ाकर 500 करोड़ रुपए किया गया था. राज्य सरकार अब इस अधिनियम में एक बार फिर से संशोधन कर 1200 करोड़ करने जा रही है.
ओड़िशा और बिहार जैसे राज्यों ने भी बढ़ायी है निकासी की राशि
कई राज्यों यथा ओड़िशा और बिहार ने भी अपनी आकस्मिक निधि से राशि निकासी में बढ़ोतरी की है. ओड़िशा ने 400 करोड़ रुपए की आकस्मिक निधि को 2000 करोड़ और बिहार सरकार ने स्थायी तौर पर 350 करोड़ के अतिरिक्त अस्थायी तौर पर कुल बजट का 4 प्रतिशत निकासी की राशि तय की है.