रांची। झारखंड में पिछले दो साल से बिजली की नई दर तय नहीं हो पायी है. जिसकी प्रमुख वजह रही राज्य विद्युत नियामक आयोग का खाली होना. इस साल आयोग में अध्यक्ष और दो सदस्य पद पर बहाली हो चुकी है. इसके बाद भी साल 2022-23 के लिये नयी बिजली दरें तय होने की संभावना अब काफी कम हो गयी है. हालांकि इसके लिये जेबीवीएनएल ने साल नवंबर 2021 में ही साल 2022-23 के टैरिफ पीटिशन आयोग को दे दिया था. इसके बाद मई से लेकर सितंबर तक में आयोग में सदस्य और अध्यक्ष पद पर सरकार ने बहाली की. जिसके कारण आयोग ने नयी बिजली दर पर कारवाई नहीं की. सितंबर में अध्यक्ष बहाली होने के बाद आयोग ने नयी बिजली दर पर कारवाई शुरू की. जिसके बाद आयोग ने जेबीवीएनएल से टैरिफ पीटिशन में सुधार का निर्देश दिया. इसके लिये पहले एक सप्ताह और फिर दो सप्ताह का समय दिया गया है. अब निगम की ओर से फिर से साल 2023-24 के लिये प्रस्ताव देने की तैयारी की जा रही है. ऐसे में संभावना कम ही है कि साल 2022-23 के लिये बिजली दरें तय की जाएगी.
30 नवंबर तक करना है पीटिशन फाइल
राज्य विद्युत नियामक आयोग में जेबीवीएनएल को नयी बिजली दरें के लिये पीटिशन फाइल करना है. इसके लिये अंतिम तिथि 30 नवंबर है. जेबीवीएनएल को इस तारीख तक पीटिशन फाइल करना है. जानकारी हो कि आयोग ने साल 2022-23 के टैरिफ पीटिशन के लिये जेबीवीएनएल से दो सप्ताह में प्रस्ताव में स्क्रुटनी करने का आदेश दिया है. हालांकि इस पर जेबीवीएनएल ने असर्मथता जताते है आयोग को पत्र लिखा है. साथ ही समय की मांग भी की है. ऐसे में संभावना व्यक्त की जा रही है साल 2022-23 के लिये बिजली दरें तय नहीं की जायेगी.
2020 में तय हुई थी नयी दरें
अक्टूबर 2020 में राज्य में बिजली दरें तय की गयी थी. जो अब तक मान्य है. इस साल कोविड महामारी के कारण आयोग ने बिजली निर्धारण में देर हुई. इसके बाद जनवरी 2021 में दो सदस्य पद खाली हो गयी. इसके पहले मई 2020 में पूर्व अध्यक्ष ने इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद आयोग खाली हो गया. ऐसे में साल 2021 और साल 20222 में नयी बिजली दरें तय नहीं हो पायी है. आयोग में एक सदस्य होने पर भी नयी बिजली दरें तय हो सकती है. जानकारी हो इस साल राज्य सरकार ने आयोग अध्यक्ष पद पर अभिषेक गुप्ता और दो सदस्य पद पर भी बहाली कर दी है.
निगम ने दिया 16 फीसदी बढ़ोतरी का प्रस्ताव
जेबीवीएनएल ने साल 2022-23 के लिए 16-17 प्रतिशत टैरिफ बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है. जेबीवीएनएल ने अपने प्रस्ताव में हर साल कुल 6500 करोड़ रूपये का नुकसान दिखाया है. पिछले दो वित्तीय साल से बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं होने के कारण बिजली खरीद और आपूर्ति में 6500 करोड़ का गैप दिखाया गया है. आयोग ने स्क्रूटनी के दौरान इन आंकलनों पर संदेह व्यक्त किया था. हालांकि बिजली दर तय करने के पहले जनसुनवाई कर उपभोक्ताओं की राय ली जाती है. जिसके बाद दरें तय होती है.