जंगली हाथियों से बचाव हेतु नगर भवन में कार्यशाला आयोजित

लोहरदगा । जंगली हाथियों से बचाव हेतु नगर भवन में कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में उपायुक्त डॉ0 वाघमारे प्रसाद कृष्ण द्वारा जिले में हाथियों से हुई मृत्यु के लोगों को श्रद्धांजलि दी गई। उपायुक्त ने उपस्थित जनप्रतिनिधियों, कर्मियों को बताया कि बिछड़ा हाथी लोहरदगा, रांची होते हुए निकला है। बिछड़े हाथी के समूह शेष कही लातेहार या अन्य जगह है। हाथी आते देख युवा आगे आते हैं जिसके देखा देखी बुजुर्ग, बच्चे भी आ जाते है। उपायुक्त ने कहा कि हाथी की गति 30 किमी, घंटा की रफ्तार होती है, ऐसी स्थिति में हाथी से दूरी बनाकर रहना चाहिये। यदि हाथी आक्रामक हो जाय तो युवा तो दौड़ जाते किन्तु वुजूर्ग चपेट में आ जाते हैं। अकेला हाथी ज्यादा आक्रामक होता है उससे कोसों दूर रहना चाहिए। हाथी किसी भी घर की ओर आता है तो सिर्फ खाना के लिए आता है। वैसी स्तिथि में संपति बचाने के चक्कर में छेड़ छाड़ नही करना चाहिए। उपायुक्त ने कार्यशाला में कहा की गांव के समाज सेवी, जनप्रतिनिधि व पदाधिकारी, कर्मी अपने -अपने क्षेत्र में वर्क शॉप कर जानकारी दें। सब लोग सुरक्षित रहे और दूसरे को भी सुरक्षित रहने में मदद करे। पुलिस अधीक्षक आर रामकुमार ने कहा कि इस कार्यशाला में जो जानकारी प्राप्त हो रही है। उसे गांव में प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाए। यह एक आपदा है फॉरेस्ट, पुलिस, प्रशासन, पब्लिक सभी का टीम वर्क करने की जरूरत है। टीम वर्क में तुरंत सूचना दिया जाना चाहिए। प्रिवेंटिव एक्शन लेने में सुविधा होती है। हाथी अपने आप में डरता है। इसके बाद भी उसे छेड़ छाड़ करते है तो वह आक्रामक हो जाता है। हाथी कुछ पौधों से दूर रहता है,वैसे पौधों को घर के आस पास लगाएं। उप विकास आयुक्त -समीरा एस ने कहा कि फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की भूमिका, पुलिस डिपार्टमेंट की भूमिका,तथा जनता की भूमिका क्या होनी चाहिये, हाथी आने पर हमें क्या करना है, क्या नहीं करना है, इसकी जानकारी दी जा रही है।कार्यशाला में दिए गए जानकारी अपने क्षेत्र, गांव से जन जन तक जानकारी पहुंचे। वन प्रमंडल पदाधिकारी अरविन्द कुमार ने कहा कि- आजकल हमारे क्षेत्र में हाथी आ रहे हैं, हाथी हमारे घर नहीं आ रहा है बल्कि हाथी के क्षेत्र में हमने घर, रास्ता बना लिया है। हाथी बरसों पूर्व विचरण किया करते थे, किंतु आज भी आते हैं तो उसे छेड़छाड़ ना करें विचरण करते गुजर जाएंगे। हाथी के आने पर आपको जानकारी मिले तो आसपास के सभी लोगों को बताएं तथा उसके नजदीक ना जाएं।फसल की खेत में प्रवेश करें तो भगाने की सोच के साथ उसके नजदीक नहीं जाए, जो भी उपाय करना हो दूर से करें। भीड़ ना बनाएं भीड़ बनाने पर कोई ढेला मारता है तो कोई पटाखा छोड़ देता है, तो वह उग्र हो जाता है, वह भी अपनी जान को खतरा समझकर आक्रामण मूड हो जाता है। वह रात में चलता है और दिन में स्थिर रहना पसंद करता है। पत्थर, पटाखा दिन में नहीं मारना चाहिए। जंगल दिशा में कोई भीड़ या अन्य क्रिया कलाप ना करे। ढोल की आवाज, टीना पीटने का कार्य अपने गांव की ओर करना है। दिन में छेड़छाड़ ना करें रात्रि में उसे जंगल की ओर प्रस्थान कराने हेतु रात्रि में मशाल जलाकर, ढोल बजाकर, टीना पीटकर जंगल की दिशा में भेजा जा सकता है। यदि हाथी से मुठभेड़ हो जाए तो सुरक्षा के दृष्टिकोण से नीचे ढलान की ओर भागना है। आडे तिरछी होकर दौड़े, जगह मिलते ही उच्च स्थान पर चढ़े। घर के बचाव हेतु घर की लिपाई करते हुए गोबर में मिर्च का गुडी मिलाकर लिपाई करना चाहिए। जिसके गंध, झास से हाथी घर की तरफ नही आता है। आग जलाने पर उसमें भी मिर्चा डालकर जला देना चाहिए। टूटे या खराब टायर घर में रखें जिसे समय में जलाएं। जला हुआ मोबिल का मशाल जलाकर रात्रि में घर के समीप रखें ताकि हाथी घर के समीप ना आए। हाथी द्वारा घऱ तोड़ने का मुख्य कारण घर मे हाथी का प्रिय सुगंधित सामग्री रखा होना है। ऐसे सामग्री घर में न रखें। जान माल एवं संपत्ति की क्षति पर सरकार क्षतिपूर्ति देती है। मुआवजा के लिए आश्रित का सीओ द्वारा रिपोर्ट, एफ आई आर रिपोर्ट तथा स्वास्थ्य विभाग से पोस्टमार्टम रिपोर्ट जमा करना होता है। वन प्रमंडल पदाधिकारी ने कहा कि सरकार मृत व्यक्तियों के आश्रितों को मुवावजा भुगतान हेतु राशि उपलब्ध करा दी है।उक्त प्रक्रिया पूरा कर भुगतान की जाएगी। आज के कार्यशाला में पंचायतों के प्रतिनिधि, प्रखंड विकास पदाधिकारी, समाजसेवी एवं वन प्रमंडल के कर्मी सहित अन्य उपस्थित थे।

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