धरती व सूर्य के मिलन की उमंग में डूबे जिलेवासी, पारंपरिक विधि विधान व हर्षोल्लास के साथ मना प्रकृति पर्व सरहुल, निकली भव्य शोभायात्रा

लोहरदगा। प्रकृति का पर्व सरहुल जिले में पारंपरिक उत्साह के साथ मनाया गया. चैत्र शुक्ल पछ तृतीय के अवसर पर मनाया जाने वाला यह त्योहार धरती एवं सूर्य के विवाहोत्सव के रूप में मनाया जाता है. करमा त्योहार के साथ सरहुल का त्योहार आदिवासी समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. शुक्रवार को सरहुल त्योहार के मौके पर शहर की सड़कें गुलजार थीं. जिले में दूर-दराज से आए हुए ग्रामीणों से शहर की गलियां पट गयीं. सड़कों व चौक चौराहों पर आदिवासी पारंपरिक वेशभूषा नजर आ रही थी. सरहुल के मुख्य अनुष्ठान का प्रारंम्भ एमजी रोड स्थित झखरा कुंबा से समारोह पूर्वक हुआ. समारोह के मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथियों को पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया गया. झखरा कुंबा में पारंपरिक पूजन के बाद केंद्रीय सरना समिति के पदाधिकारियों के नेतृत्व में दोपहर बाद शहर में भव्य शोभायात्रा निकाली गयी. सुबह से ही दूर दूराज के ग्रामीण सरहुल त्योहार में भागीदार बनने के लिए लोहरदगा पहुंचने लगे थे. प्रात: 9 बजे तक लोगों की भीड़ झखरा कुंबा में इकट्ठा हो चुकी थी. झखरा कुंबा में आयोजित पूजन कार्यक्रम में सस्वर सरना प्रार्थना गीत का गायन हुआ. इसके बाद विभिन्न अनुष्ठान संपन्न कराए गए. मौके पर वक्तावो ने कहा कि यह त्योहार लोगों को उत्साहित करने वाला तथा जनजातीय समुदाय का प्रकृति के साथ साथ जीवन को भी बतलाता है. साथ ही यह भी संदेश देता है कि प्रकृति के बगैर मानव का समाज में कोई अस्तित्व नहीं है. कहा कि वर्तमान आधुनिक युग में ग्लोबल वार्मिंग को लेकर पूरा देश चिंतित है तथा प्रकृति संरक्षण व संवर्द्धन एक गंभीर चुनौती बन चुकी है. ऐसी परिस्थति में सरहुल त्योहार की महत्ता बढ़ जाती है. वक्तावो ने सभी जाति, धर्म व समुदाय के लोगों से प्रकृति पर्व सरहुल को हर्षोल्लास के साथ मनाने की अपील की. वहीं शोभायात्रा को लेकर विभिन्न खोड़हा दलों में विशेष उत्साह था. पारंपरिक वेशभूषा में विभिन्न गांवों के लोग अलग अलग दल में बंटकर शोभायात्रा में शामिल थे. प्रत्येक खोड़हा दल एक दूसरे से बेहतर प्रस्तुति देने को तत्पर था. शहर की सड़कों पर लय स्वर व ताल के साथ सरहुली गीत गूंज रहे थे. आनंद के इस उत्सव में शामिल हर सरना धर्मावलंबी मस्त था. धरती और सूरज के इस विवाह उत्सव को यादगार बनाने के लिए सभी अपनी अपनी तरफ से प्रयत्नशील थे. मांदर की मधुर थाप, नगाड़े की गूंज तथा शंख ध्वनियों से वातावरण के मंगलमयी होने का संदेश दिया जा रहा था. खोड़हा दलों में शामिल युवक युवतियां एक दूसरे के हाथों में हाथ डालकर थिरकते हुए एकता के साथ आगे बढ़ने का संदेश दे रहे थे. चिलचिलाती धूप भी इनके उत्साह को कम नहीं कर पा रही थी. इधर सरहुल शोभायात्रा को लेकर पुलिस प्रशासन सक्रिय नजर आया. किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए जगह जगह पुलिस बल के जवान तैनात किए गए थे. विभिन्न चौक चौराहों पर पुलिस एवं प्रशासनिक पदाधिकारियों की तैनाती की गयी थी. साथ ही शोभायात्रा के दौरान पुलिस द्वारा लगातार गश्त किया जा रहा था. झखरा कुंबा से निकाली गयी शोभायात्रा में विधि व्यवस्था बनाये रखने को लेकर सदर थाना प्रभारी सहित कई पुलिस जवान सक्रिय रूप से भागीदारी निभा रहे थे.

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