लोहरदगा। सेन्हा प्रखंड अंतर्गत बरही चटकपुर गांव में चैत शुक्ल पक्ष में मनाए जाने वाला प्रकृति पर्व सरहुल मनाया गया। सरहुल के दूसरे दिन सरहुल शोभायात्रा सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। शोभायात्रा कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित जिला परिषद सदस्य राधा तिर्की, पूर्व जिला परिषद सदस्य राम लखन प्रसाद साहू, सेन्हा प्रखंड प्रमुख गुलझरी उरांव, जिला पड़हा बेल लक्ष्मी नारायण भगत, लोहरा समाज के अध्यक्ष बालमुकुंद लोहरा, पूर्व प्रमुख कलावती उरांव, पंचायत समिति सदस्य सफ़सुद्दीन अंसारी, भीखाराम भगत, रवि साहू, बबलू उरांव, अनूप राम, राजू बाखला, खुदी उरांव, अमर भगत, मनिरतन भगत शामिल हुए। सभी अतिथियों को आदिवासी अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया। इससे पूर्व गांव के पाहन रामवतार पाहन, महतो शंकर उरांव उर्फ शिशिर, पुजार सनी उरांव ने अखरा में विधि-विधान पूर्वक आदिदेव धर्मेश एवं मां सरना की पूजा अनुष्ठान किए। सुख समृद्धि के लिए मुर्गे की बलि देने की परंपरा निभाई गई। ग्राम देवता के लिए रंगवा मुर्गा अर्पित किया गया। पाहन देवता से बुरे आत्मा को गाव से दूर करने की कामना भी किए। पूजा के दौरान पाहन घड़े का पानी देख वार्षिक भविष्यवाणी की। जिस पर यह बताया गया कि वर्षा सामान्य होगा। इससे पूर्व प्रकृति पूजक उपवास में रहकर जल रखाई की रस्म निभाई। सुबह में उपवास में रहकर केकड़ा और मछली पकड़ा गया। परंपरा के अनुसार विभिन्न मौजा के पाहन भी केकड़ा मछली पकड़ने का रस्म निभाया। परंपरा है कि घर के नए दामाद या बेटा केकड़ा पकड़ने खेत गए। पकड़े गए केकड़े को साल पेड़ के पत्ते से लपेट कर चूल्हे के सामने टागा गया। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में खुशहाली आती है। वही संध्या में झखरा स्थल पर जल रखाई हुई। पास के नदी तालाब से दो घड़ा में पवित्र जल भर कर झखरा स्थल लाया गया। यहा पाहन ने पूजन कर जल रखाई का विधान पूरा किया गया। पानी की गहराई को साल के तनी से नापा गया.. इसके बाद नए धागे से उनके सिरों को जोड़कर घड़े के ऊपर मिट्टी के बर्तन से ढका गया। पाहन रामवतार पाहन ने केकड़ा पकड़ने व संध्या पूजन संपन्न कराया। वही शोभायात्रा में ग्रामीण जन ढोल नगाड़े मांदर की थाप पर जमकर झूमे। शोभायात्रा गांव के अखड़ा से शुरू होकर मेन रोड होते हुए गम्हार टोली पहुंचकर शोभा यात्रा संपन्न हुआ। शोभा यात्रा कार्यक्रम को सफल बनाने में सरना समिति बरही चटकपुर के कृपाल उरांव, सुखदेव उरांव, हाजरी उरांव, सिबलाल उरांव, रमेश उरांव, रामकेश्वर उरांव, सुरेश उरांव सहित अन्य लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
बरही चटकपुर गांव में निकाली गई सरहुल शोभायात्रा, मांदर की थाप पर जमकर थिरके ग्रामवासी
