भंडरा। टीबी यानी तपेदिक अब जानलेवा बीमारी नहीं है। इस बीमारी का सरकारी अस्पतालों में निशुल्क जांच हो ती है। इस बीमारी का इलाज सस्ता और सुगम है। यहां तक कि इस बीमारी से पीडि़त रोगियों को सरकार की ओर से आर्थिक सहायता भी मिलती है। जिले के मरीज तो सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों के जरिए अब स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। हालांकि जागरूकता की कमी से कुछ ग्रामीण ऐसे हैं जो टीबी होने के बावजूद नीम हकीम और झोला छाप डाक्टरों से इलाज करा रहे हैं। उक्त बाते जिला क्षय रोग अधिकारी की टीम ने गुरुवार को भंडरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मे बैठक के दौरान कही. जिला क्षय रोग अधिकारी विजय कुमार महतो ने बताया कि टीबी मरीजों का इलाज क्षय रोग विभाग की निगरानी में निशुल्क इलाज चल रहा है। टीबी के इलाज के लिए किसी गरीब को कर्ज लेने की जरूरत नहीं है। निक्षय पोषण योजना के तहत मरीजों के बैंक खाते में इलाज जारी रहने तक प्रति माह 500 रुपये की सहायता राशि बेहतर पोषण के लिए भेजी जाती है। उन्होंने प्रखंड व जिले के सम्पन लोगो से अपील करते हुये कहा की टीबी बीमारी को जड़ से खतम करने के लिए जिले के सभी सम्पन लोगो की मदद कर सकते है । सम्पन लोग टीबी मरीजों को पौष्टिक भोजन के लिए मरीज को गोद ले सकते है। टीबी मरीजों को पौष्टिक भोजन देने मे प्रति माह सात सौ रुपया खर्च आता है। सम्पन लोग प्रति माह सात सौ रुपया देकर एक टीबी मरीज को गोद ले सकते है. जिससे क्षेत्र मे टीबी रोग को 2025 तक खत्म किया जा सकता है. इस दौरान पीरामल स्वास्थ्य के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सुधीर कुमार राय ने टीबी बीमारी के लक्षण, जांच एवं ईलाज के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दो हफ्ते से अधिक खांसी, वजन कम होना, रात में पसीना आना, भूख नहीं लगना, सीने में दर्द होना, बुखार होना, खांसी के साथ बलगम और खून आने पर तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर बलगम का जांच कराएं। उन्होंने बताया कि टीबी की जांच एवं ईलाज बिल्कुल मुफ्त है। टीबी रोग से ग्रसित व्यक्ति से घर के अन्य सदस्य को भी टीबी रोग होने की सभावना बढ़ जाती है. इस मौके पर डॉक्टर संजय कुमार, साजिद आलम, मुकेश गुप्ता, संदीप भगत सहित अन्य लोग मौजूद थे.
टीबी रोग को जड़ से समाप्त करने को लेकर हुई बैठक
