लोहरदगा। शहर के पावरगंज स्थित श्री श्री दक्षिणेश्वर दुर्गा बाड़ी मंदिर, वीर शिवाजी चौक स्थित सिद्धिदात्री दुर्गा मंदिर में मंगलवार को जीवन में आने वाली विपत्तियों से मुक्ति के लिए मां बिपत्तारिणी की पूजा-अर्चना बड़े ही आस्था और श्रद्धा के साथ बंगाली समुदाय के लोगो द्वारा की गयी. इस दौरान बंगाली समाज की सैकड़ों महिलाओ ने मां की पूजा-अर्चना की. पूजा-अर्चना के दौरान व्रतियों ने माता से अपने परिवार और समाज में आने वाली विपत्तियो से मुक्ति की कामना की. इस अवसर पर श्रद्धालुओं द्वारा 13 प्रकार के फल, फूल और अन्य पूजा सामग्रियों का भोग लगाया गया. पावरगंज स्थित श्री श्री दक्षिणेश्वर दुर्गा बाड़ी मंदिर में मुख्य पुजारी जादव कुमार राय, कृष्ण देव मिश्रा व वीर शिवाजी चौक स्थित सिद्धि दात्री दुर्गा मंदिर में पुरोहित हरिहर शास्त्री द्वारा पूरे विधि विधान के साथ मां विपततारिणी की पूजा अर्चना करायी. यहाँ वैदिक मंत्रोचारण के साथ पूजा संपन्न कराया गया. मंदिर में पूजा को लेकर महिलाओं की भीड़ लगी रही. पुजारियों ने दोपहर तक कई पाली में पूजा कराई. महिलाओं ने भी माँ की पूजा-आराधना कर कथा का श्रवण किया. यहां दिनभर पूजा करने के लिए महिलाओं की कतार लगी रही. पूजन, आरती के बाद महिलाओं ने एक दूसरे को सिंदूर लगाया और हाथों में रक्षा सूत्र बांधा. पूजन के बाद महिलाओं ने प्रसाद ग्रहण किया.
डिंका प्रसाद में 13 अंकों का है विशेष महत्व
दुर्गा बाड़ी के पुरोहित जादव कुमार राय ने बताया कि हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पक्ष की तृतीया से नवमी तिथि के बीच मंगलवार या शनिवार को यह पूजा की जाती है. मां विपत्तितारिणी मां दुर्गा का ही रूप है. इस पूजा की खासियत डिंका प्रसाद है. यह विशेष प्रसाद खास रूप से व्रतियों के लिए होता है. इस प्रसाद में 13 अंक का विशेष महत्व है. डिंका प्रसाद में 13 फल, 13 फूल, 13 दुबला घास, 13 गांठ का लाल धागा, 13 पान पत्ता, 13 लौंग, 13 इलायची और 13 प्रकार के नैवेद्य होते हैं. पूजा के बाद व्रती इसी डिंका प्रसाद को आपस में बांटते हैं तथा अपने हाथ में 13 गांठ वाले धागे को बांधती हैं.
दूसरे जिले से भी पहुंचे थे श्रद्धालु
शहर के विभिन्न मंदिरों में विपतारिणी पूजा को लेकर श्रद्धालुओं में काफी उमंग था. पूजा को लेकर खासकर बंगाली समुदाय में काफी उत्साह नजर आया. वीर शिवाजी चौक स्थित सिद्धिदात्री दुर्गा मंदिर के समक्ष रहने वाली महिलाएं देवी विपतारिणी की पूजा के लिए कई दिन पहले से ही तैयारी में जुट गई थीं. ऐसा माना जाता है कि इस पूजा को करने से घर परिवार पर आने वाला संकट दूर हो जाता है. यह पूजा घर की माताएं करती हैं. महिलाएं अपने घर के प्रत्येक सदस्य के नाम पर बाजू में बांधने के लिए अलग-अलग दुब घास से रक्षा सूत्र पूजा स्थल पर तैयार करती हैं और पूजा के बाद इस रक्षा सूत्र को परिवार के प्रत्येक सदस्य की बाजू में हर विपत्ति से रक्षा करने के लिए बांधती हैं. सिद्धि दात्री दुर्गा मंदिर में लोहरदगा शहरी इलाको के अलावे सलगी, चांपि, भौरो, बेदाल व भंडरा प्रखंड के अलावे रांची व गुमला जिला से भी बंगला समुदाय के श्रद्धालु पहुंचे थे. मौके पर काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे.
महिलाओं ने खेली सिंदूर की होली
माँ विपत्तितारिणी की पूजा संपन्न होने के बाद सुहागिन महिलाओं ने सिंदूर की होली खेली. इस दौरान महिलाओं ने एक दुसरे सुहागिन महिलाओं को सिंदूर लगाकर रस्म की अदायगी की. मान्यता है कि विपत्तितारिणी पूजा के दिन सुहागिन महिलाएं द्वारा सिंदूर खेला रस्म से पतियों की उम्र दिर्घायु होती है. इस मौके पर बंगला समुदाय के अलावे अन्य समुदाय के उपस्थित श्रद्धालु महिलाओं ने भी एक दूसरे सुहागिन महिलाओं को सिंदूर लगाया.
विधि विधान से हुई मां विपत्तितारिणी की पूजा, बंगाली समुदाय में दिखा उत्साह, एक दूसरे को सिंदूर लगाकर हाथों में बांधा रक्षा सूत्र
