लोहरदगा। संत उर्सला अस्पताल स्थित एएनएम नर्सिंग ट्रेनिंग स्कूल में शनिवार को कैपिंग डे कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि डॉक्टर सिस्टर पुष्पा कुजुर, फादर चोन्हस तिग्गा,फादर आकेश खलखो, फादर रंजीत, फादर चार्ल्स तिग्गा, डॉक्टर सिस्टर आईलीन कुजूर व सिस्टर दया द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कैपिंग डे कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। मौके पर फादर चोन्हस तिग्गा, फादर आकेश खलखो, फादर रंजीत व फादर चार्ल्स तिग्गा की अगुवाई में विशेष मिस्सा पूजा का आयोजन किया गया। मिस्सा पूजा के उपरांत 41 प्रशिक्षु नर्सो का मुख्य अतिथि डॉक्टर पुष्पा कुजूर के द्वारा नर्सिंग कैप पहनाया गया। कार्यक्रम के दौरान प्रशिक्षु नर्सों को फ्लोरेंस नाइटेंगल की शपथ दिलाई गई। मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ पुष्पा कुजूर ने कहा कि नर्सिंग पेशा नहीं बल्कि सेवा का काम है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के 6 माह के उपरांत कैपिंग डे कार्यक्रम का आयोजन करते हुए प्रशिक्षु नर्सो को कैप प्रदान किया जाता है, जिसके उपरांत प्रशिक्षु नर्सें प्रायोगिक तौर पर अस्पतालों में अपनी सेवा देते हुए नर्सिंग का काम सीखती हैं। डॉक्टर कुजूर ने कहा कि नर्सों को चाहिए कि जो उन्होंने समर्पण, त्याग व अनुसाशन का शपथ लिया है उसका पूर्णता पालन करते हुए मरीजों की सेवा करें व चिकित्सकों की सहायता करें। नर्सों का यह उद्देश्य होना चाहिए कि वे चिकित्सकों का पूर्ण सहयोग व मरीजों की पवित्र भाव से सेवा करें। कैपिंग डे नर्सिंग सेवा का पहला कदम है। उन्होंने कैप को समर्पण, सेवा और अनुशासन का प्रतीक बताया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉक्टर सिस्टर आइलीन कुजूर ने कहा की संत उर्सुला अस्पताल स्थित एएनएम नर्सिंग प्रशिक्षण स्कूल द्वारा प्रत्येक वर्ष 40 नर्सों को प्रशिक्षण देकर स्वास्थ्य सेवा देने के लिए तैयार किया जाता है जो जिले के ही नहीं वरण राज्य के सभी इलाकों के साथ साथ देश के विभिन्न अस्पतालों में अपनी सेवा देते हुए मरीजों की सेवा कर रही हैं। उन्होंने कहा कि नर्से स्वास्थ्य सेवा की रीढ़ है, चिकित्सक इलाज तो करते हैं परंतु नर्सें सही मायने में मरीजों की सेवा व सहयोग करती हैं। इसके साथ- साथ ही वे चिकित्सकों का चिकित्सकीय कार्य में सहयोग भी करती हैं। उन्होंने कहा कि मानवता की सेवा ईश्वरीय सेवा है इसलिए नर्सों का रोल और महत्वपूर्ण हो जाता है । मौके पर डॉक्टर सिस्टर आईलीन कुजूर, सिस्टर विमला, सिस्टर दया, सिस्टर एलक्स, सिस्टर मर्सी ,सिस्टर सेरोफिना, सिस्टर ओडिल, सिस्टर नीति, सिस्टर पुनीत, सिस्टर मंगला के अलावे नर्सिंग स्कूल की तीनों बैचों की प्रशिक्षु नर्सें शामिल थीं।
नर्सिंग पेशा नहीं सेवा है : डॉ पुष्पा कुजूर
