लोहरदगा। झारखण्ड की ओर से अरविंद उराँव -मुख्य संयोजक- राष्ट्रीय आदिवासी-इंडीजीनस धर्म समन्वय समिति, भारत के अगुवाई में जनगणना प्रपत्र में आदिवासियों के अस्तित्व, आस्था एवं पहचान के लिए ट्राईबल काॅलम पुनः बहाल कराने हेतू 23/02/2022 को जंतर-मंतर नई दिल्ली में विशाल धरना प्रदर्शन में शामिल होने के लिए 50 लोग लोहरदगा से और झारखण्ड से लगभग सैकड़ों लोग धरना-प्रदर्शन में शामिल होंगे । मुख्य संयोजक अरविंद उराँव सामाजिक कार्यकर्ता लोहरदगा से ने कहा कि देश के कोने कोने से आदिवासी समाज के धार्मिक/सामाजिक अगुवा शामिल होगे । उन्होंने कहा कि जनगणना की शुरूआत ब्रिटिश सरकार द्वारा जनगणना किया गया जो अब तक हर 10 साल में निरंतर गणना भारत सरकार द्वारा किया जाता है । आदिवासियों को जनगणना प्रपत्र में दिया गया नाम इस प्रकार है- 1871 – Aboriginal, 1881- Aboriginal, 1891- animist, 1901-animist , 1911- animist, 1921- tribal Religion, 1931- tribal Religion, 1941 – tribes , 1951- Tribal का काॅलम था 1961-में षडयंत्र के तहत others हो गया और अब तक आदिवासी अपनी पहचान के लिए संघर्ष कर रहा है । 1980 के दशक में महान पुरूष कार्तिक उराँव ने भी सम्पूर्ण देश में पहल किया उसके बाद डाॅ0 रामदयाल मुण्डा ने भी बेहतरीन पहल किया परन्तु केन्द्र सरकार की उदासीनता के कारण आदिवासी संघर्ष कर रहा है ।मामले को गंभीरता से लेते हुए राष्ट्रीय आदिवासी-इंडीजीनस धर्म समन्वय समिति, भारत के संगठन के सभी क्रांतिकारी साथियों के सहयोग से 2015 से लगातार दिल्ली के जंतर-मंतर में पहले से ट्राइबल कालम जनगणना प्रपत्र में था उसे पुनः बहाल कराने हेतू आन्दोलन चलता आ रहा है । मुख्य संयोजक अरविंद उराँव ने कहा कि हम अपनी पहचान हेतू ट्राइबल कालम के लिए संघर्ष जारी रखेंगे । दिल्ली जाने वालों में मुख्य रूप से संदीप उराँव, चमन किसान, मुकेश कुमार, इन्द्रदेव लकड़ा, विरसू असुर, सतीश भगत, विकास नगेशिया, रामवृक्ष नगेशिया, विकास मिंज, बबलू उराँव, कर्मी नगेशिया, सुनीता उराँव, विश्वनाथ भगत, अनिल भगत, गोविन्द उराँव, प्रेम प्रकाश भगत आदि सैकड़ों लोग धरना-प्रदर्शन में शामिल होंगे ।
ट्राईबल काॅलम पुनः बहाल कराने हेतू नई दिल्ली में विशाल धरना प्रदर्शन में शामिल होंगे
