लोहरदगा l जिले में दिख रहा है पुरे जोर व शोर से सरहुल की खुशियां l प्रकृति पूजा का पर्व सरहुल जिले में पारंपरिक उत्साह के साथ मनाया जा रहा हैचैत्र शुक्ल पक्ष तृतीय के अवसर पर मनाया जानेवाला यह त्योहार धरती एवं सूर्य के विवाहोत्सव के रूप में मनाया जाता है। करमा त्योहार के साथ सरहुल का त्योहार आदिवासी समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है l सरहुल आदिवासियों का प्रमुख पर्व है, जो झारखंड, उड़ीसा और बंगाल के आदिवासी द्वारा मनाया जाता है. यह उत्सव चैत्र महीने के तीसरे दिन चैत्र शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है. इसमें वृक्षों की पूजा की जाती है. यह पर्व नये साल की शुरुआत का भी प्रतीक माना जाता है l
जिले में जारी है सरहुल की खुशियां
