रांची। झारखंड के बहुचर्चित बड़कागांव गोली कांड में पूर्व विधायक योगेंद्र साव को झारखंड हाईकोर्ट से बेल मिल गयी है. हाईकोर्ट के जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने योगेंद्र साव के जेल में करीब साढ़े चार साल की सजा काट लेने की अवधि को देखते हुए जमानत प्रदान की. इस मामले में बेल मिलने से अब वह जेल से बाहर आ सकेंगे. प्रार्थी की ओर से शुभाशीष रसिक सोरेन एवं विशाल तिवारी ने बहस की.
इस मामले में योगेंद्र साव को निचली अदालत से 10 साल की सजा मिली है. यह सजा मार्च 2022 में उन्हें मिली थी. जमानत याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता ने कहा कि घटना के समय योगेंद्र साव वहां मौजूद नहीं थे. उन्होंने इस मामले में करीब आधी सजा काट ली है, इसलिए उन्हें जमानत दी जाए.
मामले को लेकर बड़कागांव थाना में कांड संख्या 228/2016 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी. वर्ष 2015 में हजारीबाग के बड़कागांव के चिरूडीह गांव में कफन सत्याग्रह आंदोलन चल रहा था. पुलिस प्रशासन लगातार उसे खत्म कराने की कोशिश कर रहा था. इसके लिए कई दौर पर बातचीत हुई, लेकिन प्रशासन को नाकामी मिली थी. इस बीच आंदोलनकारियों ने खनन कार्य में लगी मशीनें रोक दीं, जिसके बाद बड़कागांव की तत्कालीन विधायक निर्मला देवी को गिरफ्तार कर लिया गया. इस गिरफ्तारी से नाराज ग्रामीणों ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया. इसी बीच गांववाले निर्मला देवी को पुलिस हिरासत से छुड़ाकर ले गए। पुलिस ने भीड़ पर लाठीचार्ज कर दिया और बाद में पुलिस ने फायरिंग की, जिसमें कई ग्रामीणों की मौत भी हो गई थी.
योगेंद्र साव की बेटी , बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद से बातचीत में उन्होंने कहा कि सात सालों में पहली बार कोई खुशखबरी मिली है. इस बेल के बाद मेरे पिता जो सालों से जेल में संघर्ष कर रहे थे, उनके बाहर आने का रास्ता साफ हो गया. अंबा ने कहा कि जनता की लड़ाई की वजह से मेरे माता-पिता को दो साल झारखंड से बाहर रहना पड़ा. सलाखों के पीछे भी रहे. लेकिन हिम्मत नहीं टूटी. मेरा परिवार आगे भी जनता के लिए जरूरत पड़ने पर संघर्ष से पीछे नहीं हटेगा.