कांवरियों पर पड़ी महंगाई की मार, बस के जगह रेल से जा रहे बाबा दरबार

धनबाद। महंगाई ने सावन के पवित्र महीने में देवघर पहुंचने वाले कांवरियों पर भी गहरा असर डाला है. बसों का बढ़ा किराया देख कांवरियों ने मार्ग ही बदल डाला है. अब सड़क मार्ग से मुंह मोड़ कर रेल मार्ग से बाबा भोलेनाथ के दरबार देवघर पहुंच रहे हैं. बसों में 500 से 600 रुपये किराया देने से अच्छा 80 रुपये में ट्रेन का सफर ज्यादा आरामदेह लग रहा है. फिलहाल इन दिनों ट्रेनों में अगले 6 दिनों के लिए सीट फुल हो चुकी है.

 धनबाद से हर रोज दो हजार कांवरिया हो रहे रवाना

धनबाद जिले से प्रतिदिन लगभग 2000 कांवरिया देवघर रवाना हो रहे हैं. परंतु महंगी बस यात्रा उन्हें रास नहीं आ रही, सो रेल मार्ग को अपना रहे हैं. फिलहाल धनबाद से सुल्तानगंज के लिए खुलने वाली बसों में कांवरियों की भीड़ नहीं देखी जा रही है. कुछ गिने-चुने कांवरिया ही हैं, जो ट्रेन की भीड़भाड़ से बचने के लिए बसों में सीट बुक करा रहे हैं.

बस मालिकों को थी अच्छी आमदनी की आशा

पिछले 2 वर्षों से करोना काल के कारण श्रावणी मेले पर रोक लगी हुई थी. इस वर्ष सावन मेला में बस मालिकों के बीच अच्छी आमदनी की नई उम्मीद जगी थी. परंतु बढ़ते बसों के किराये ने सब गुड़ गोबर कर दिया, क्योंकि कांवरियों ने रेल मार्ग की ओर रुख कर लिया है. भगवा रंग से पटा रहने वाला धनबाद बस अड्डा सफेद दिखाई दे रहा है. बस मालिकों ने काफी तैयारी कर रखी थी. बस ऑनर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुमित सिंह ने बताया था कि इस बार कांवरियों के लिए बसों की कमी नहीं होने देंगे. परंतु कावरियों ने तो बसों से ही मुंह मोड़ लिया है.

 दो वर्ष पूर्व की तुलना में इस वर्ष किराया अधिक

एसोसिएशन के अध्यक्ष सुमित सिंह का कहना है कि इस बार बसों का किराया 2 वर्ष पूर्व की तुलना में अधिक हैं. कोरोना से पहले सुल्तानगंज के लिए खुलने वाली नॉन एसी बसों का किराया ₹350 था. अब ₹450 देने पड़ेंगे. कोरोना से पूर्व एसी बसों का किराया ₹500 था, जो बढ़कर 600 रुपये हो गया है.

    ट्रेनों में किराये की हो रही 70प्रतिशत बचत

कांवरियों को बसों की अपेक्षा ट्रेन से सफर करने में 70 प्रतिशत की बचत हो रही है. नॉन एसी बसों का किराया धनबाद से सुल्तानगंज के लिए ₹450 तय किया गया है, तो जनरल ट्रेनों में धनबाद से जसीडीह के लिए 75 से 80 रुपये किराया तय है. ट्रेनों में स्लीपर के लिए 135 से 145 रुपये देने पड़ रहे हैं.

  क्या कहते हैं कांवरिया

कांवरिया रंजीत कुमार ने बताया कि महंगाई चरम पर है और देवघर जाने के लिए कम से कम 8 से 10 हज़ार रुपये का खर्च आ रहा है. इस खर्च से बचने के लिए कई जगहों पर कटौती कर हम बाबा के दरबार पहुंच रहे हैं. सबसे बड़ी कटौती मार्ग को बदलकर कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि बसों में 500 से 600 रुपये किराया देने की बजाय मात्र 80 रुपये में देवघर की यात्रा ज्यादा सुविधाजनक लग रही है.

धनबाद स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रहे कांवरिया किशन कुमार बताते हैं कि उन्हें बाबा की पूजा करनी है.  मार्ग मायने नहीं रखता. हम पैदल जाएं या फिर बस से या ट्रेन से, कोई फर्क नहीं पड़ता.  देखना है कि कैसे इस महंगाई से बचते हुए बाबा के दरबार पहुंचकर पूजा कर सकें. महंगाई से बचने के लिए बस की जगह ट्रेन का रास्ता चुना है. उन्होंने कहा कि वह अकेले नहीं हैं. उनके साथ कई कांवरिया बस छोड़कर ट्रेन से जा रहे हैं.

धनबाद स्टेशन पर ही धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि आज के समय में सबसे सस्ता रेलमार्ग है. इसीलिए रेल मार्ग को चुना है. उन्होंने बताया कि रेल मार्ग से लगभग 3 से 4 हज़ार रुपये में पूजा कर वापस घर पहुंच जाएंगे. अगर सड़क मार्ग का उपयोग करते हैं तो यह खर्च लगभग 2 गुना हो जाएगा.

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