रामगढ़। डैम जलस्रोत होने के साथ ही पर्यटकों के लिए मनोरम स्थल भी होता है. डैम के आसपास प्राकृतिक नजारा भी देखते ही बनता है. हालांकि इसका औद्योगिक महत्व भी होता है. क्योंकि वहां टूरिस्ट भी बड़ी संख्या में आते हैं. 3400 एकड़ में फैला पतरातू डैम भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है. इसके चारों ओर का नजारा मनमोहक है. सर्दी के मौसम में यहां पर्यटकों की हिल स्टेशन जैसी भीड़ देखने को मिलती है. बड़ी संख्या में लोग यहां वोटिंग व पिकनिक के लिए आते हैं.
वर्तमान में पतरातू डैम में 1319.2 क्यूसेक पानी है
दूसरी ओर पतरातू डैम का पानी जिंदल और सीसीएल को सप्लाई भी की जाती है. लेकिन पतरातू विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड में अभी तक सप्लाई के लिए एग्रीमेंट नहीं हुआ है. मौजूदा समय में पतरातू डैम में 1319.2 क्यूसेक पानी है. पिछले साल डैम की सफाई के नाम पर बस खाना पूर्ति ही हुई थी. सिर्फ डैम किने की झाड़ियों व गंदगी को हटाया गया था. जिससे डैम का ऊपरी हिस्सा साफ दिखे, जिससे आनेवाले सैलानी आकर्षित हो सकें.
डैम की कुल भंडारण क्षमता 81 वर्ग मील है
अगर डैम के अंदरूनी हिस्सों को देखें, तो बीते कई वर्षों से सफाई नहीं हुई है. डैम की कुल भंडारण क्षमता 81 वर्ग मील है. बरसात के दिनों में लगातार चार-पांच दिनों की बारिश से डैम का जलस्तर बढ़ जाता है. जिससे डैम का पानी खतरे के निशान से ऊपर जाता है. तो डैम का फाटक खोल दिया जाता है. पतरातू डैम में कुल पांच फाटक हैं. साथ ही डैम से सटी नलकारी नदी है. बरसात में डैम का फाटक खुलते ही नलकारी नदी में जबर्दस्त उफान आ जाता है.
पतरातू के संपदा पदाधिकारी राम कुमार निराला ने बताया कि अच्छी बारिश नहीं होने से डैम का जलस्तर घटता है. जिससे आसपास के इलाके तो प्रभावित होते ही हैं, वाटर सप्लाई में भी परेशानी होती है. इसलिए जरूरी है कि अच्छी बारिश हो ताकि डैम का जलस्तर बना रहता है. उन्होंने बताया कि डैम के जलस्तर को देखने के लिए लोहे की मेजरमेंट स्केल लगाई गई है. डैम अपने पुराने रंगत में लौटे इसके लिए हर तरफ से इसकी सफाई जरूरी है. संबंधित विभाग को इसे गंभीरता से देखना चाहिए, ताकि पानी साफ रहे और उसका सही उपयोग होता रहे.