किरीबुरु। ओडिशा व मध्यप्रदेश से झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिला स्थित नक्सल प्रभावित सारंडा जंगल के रास्ते प्रतिबंधित मादक पदार्थ गांजा की तस्करी बडे़ पैमाने पर वर्षों से जारी है. मादक पदार्थ तस्करों के लिये सारंडा जंगल का यह क्षेत्र हमेशा से सुरक्षित रहा है, जो रात के समय और सुरक्षित हो जाता है. उल्लेखनीय है कि मादक पदार्थ की तस्करी का कार्य दर्जनों गिरोह कर रहे हैं. इसमें जमशेदपुर, रांची, गोईलकेरा, जैतगढ़, चक्रधरपुर के अलावा विभिन्न जिलों के लोग शामिल हैं. ये तस्कर हमेशा छोटे वाहन जैसे कार आदि का अधिक इस्तेमाल करते हैं. तस्करी में इस्तेमाल होने वाले कार पुरानी व सेकेंड हैंड सस्ते दामों में खरीदी हुई रहती है, ताकि पुलिस से पकडे़ जाने के बाद उन्हें अधिक नुकसान नहीं उठाना पडे़.
तस्करी में कौन व कितने गिरोह शामिल हैं, सभी का पता लगाने में जुटी पुलिस
हालांकि 25 जुलाई को छोटानागरा थाना अन्तर्गत जामकुंडिया गांव क्षेत्र से मनोहरपुर एसडीपीओ दाऊद किड़ो के नेतृत्व में पुलिस टीम ने 108 किलो गांजा एक कार से बरामद किया था. यह संयोग था की गांजा तस्कर की उक्त कार एक टेंपू से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. इसी वजह से गांजा व कार बरामद हो पाया, जबकि दोनों तस्कर जंगल में भाग गये. वहीं, गांजा लदी मारुति स्विफ्ट डिजायर कार जमशेदपुर निवासी ताहीर अली की बताई जा रही है. पुलिस अब कार मालिक के अलावा कार में सवार दोनों व्यक्ति की पहचान कर उसकी गिरफ्तारी और गांजा कहां से लाकर कहां बेचा जाता है, इस तस्करी में कौन-कौन व कितने गिरोह शामिल हैं, सभी का पता लगाने में जुट गई है.
मनोहरपुर व जराईकेला थाना क्षेत्र होते हुए ओडिशा जाते हैं तस्कर
विदित हो कि तस्कर पश्चिम सिंहभूम के सारंडा स्थित मनोहरपुर व जराईकेला थाना क्षेत्र होते हुए ओडिशा जाते हैं व ओडिशा के बडे़ तस्करों से संपर्क कर उनसे गांजा खरीद कार की डिक्की आदि में भरकर ओडिशा के बिसरा थाना होते हुए झारखंड के जराईकेला थाना सीमा में प्रवेश कर जाते हैं. जराईकेला थाना सीमा में प्रवेश करने के बाद अनेक ग्रामीण व मुख्य सड़क होते हुए मनोहरपुर आते हैं. यहां से वह आसानी से गोईलकेरा अथवा छोटानागरा थाना क्षेत्र होते हुए झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों में गांजा लेकर अपने ठिकानों पर सुरक्षित पहुंचा देते हैं.
नक्सल की वजह से कई थाना क्षेत्रों में नहीं होती है वाहन जांच
सारंडा स्थित विभिन्न थाना क्षेत्रों में नियमित वाहन की जांच नहीं होती. विशेष अभियान अथवा चुनाव के दौरान ही वाहन जांच होती है. दूसरी तरफ सारंडा वर्ष 2001 से नक्सलियों का कोर जोन रहा है. ऐसे में नक्सल की वजह से उक्त थाना क्षेत्रों में रात के समय पुलिस पेट्रोलिंग व तमाम प्रकार की गतिविधियां ग्रामीण व जंगल क्षेत्र में नहीं होती है. इसी का फायदा तस्कर उठाते हैं. तस्कर तमाम थाना क्षेत्रों से वाकीफ हैं, कि किन-किन क्षेत्रों में वाहन जांच नहीं होती है, उसी क्षेत्र का वे निरंतर इस्तेमाल रात अथवा दिन में गांजा आदि मादक पदार्थ की तस्करी हेतु करते हैं. वहीं, सारंडा स्थित जराईकेला, मनोहरपुर, टीमरा, गुवा, बराईबुरु में वन विभाग अथवा पुलिस का स्थायी व अस्थाई चेकनाका है. अगर ऐसे चेकनाका पर एक-दो पुलिसकर्मियों को लगाकर रात-दिन नियमित वाहनों की चेकिंग अभियान प्रारंभ करा दी जाये तो मादक पदार्थों की तस्करी के साथ-साथ अनेक अपराधियों की गतिविधियां भी रुक जायेगी.