किरीबुरु। सीआरपीएफ 197वीं बटालियन की जी कंपनी ने कमांडेंट परवेश कुमार जौहरी के आदेशानुसार केन्द्रीय विद्यालय में पौधरोपण किया. सीआरपीएफ 197वीं बटालियन की कंपनी कमांडर नुपुर चक्रवर्ती के नेतृत्व में जवानों और विद्यार्थियों ने स्कूल प्रांगण में 150 पौधे लगाए. विद्यालय के प्राचार्य प्रशांत कुमार षाड़ंगी, एसडीपीओ अजीत कुमार कुजूर, थाना प्रभारी फिलमोन लकड़ा ने भी शिक्षक-शिक्षिकाओं के साथ पौधे लगाए. इस दौरान नुपुर चक्रवर्ती ने केन्द्रीय विद्यालय मेघाहातुबुरु के छात्र-छात्राओं को वन एवं पर्यावरण के महत्व को बताते हुये अधिक से अधिक पौधे लगाने के लिए जागरूक किया.
स्कूली बच्चों व ग्रामीणों को जोड़कर जागरूक किया जा रहा : नुपूर
नुपुर चक्रवर्ती ने कहा कि कमांडेंट परवेश कुमार जौहरी के आदेशानुसार अपने कार्य क्षेत्र सारंडा के विभिन्न क्षेत्रों में पौधरोपण कर किया जा रहा है. इस अभियान से स्कूली बच्चों व ग्रामीणों को जोड़ जागरुकता भी फैला रहे हैं. दुर्भाग्य यह है कि हम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने की बजाय अपनी क्रियाओं से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं. औद्योगिक विकास और मानवीय स्वार्थों की पूर्ति को प्रतिदिन लाखों पेड़ पौधों की बलि दी जा रही है. कुछ वर्ष पूर्व पेड़ों की संख्या अधिक थी, तो समय पर बारिश होती थी और गर्मी भी कम लगती थी, लेकिन जैसे-जैसे समय बीत रहा है, पानी के लिए तरस रहे हैं और गर्मी झुलसा रही है.
औद्योगिकीकरण व शहरीकरण के लिए पेड़ काटे जा रहे
औद्योगिकीकरण और शहरीकरण के लिए बड़े पैमाने पर पेड़-पौधे काटे जा रहे हैं. वनों की कटाई अत्यधिक चिंताजनक है और वन महोत्सव का उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों को वनों को उगाने और बचाने के लिए एक साथ लाना है. रिपोर्ट बताती है कि उच्च वन आवरण वाले क्षेत्र कोविड-19 महामारी से अधिक प्रभावित नहीं थे. धरती की 90 फीसदी जैव विविधता चाहे वह वृक्ष हो या जीव, वनों में ही निवासित है. प्रत्येक वन अपने पशुओं एवं वृक्षों की सहूलियत के अनुसार स्वयं के वातावरण को परिवर्तित करने में सक्षम है.
वृक्ष वातावरण को शुद्ध करते हैं
वृक्ष वातावरण की वायु को शुद्ध करके हानिकारक तत्वों को मनुष्य के शरीर में प्रवेश करने से रोकते हैं. दिन के समय यह स्वयं कार्बन डाई ऑक्साइड को ग्रहण करके प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करते हैं और ऑक्सीजन को वातावरण में छोड़ते हैं. इसी ऑक्सीजन को मनुष्य अपने शरीर में सांस के जरिये ग्रहण करता है. वृक्ष एवं पौधे अपने पत्ते एवं शाखाएं गिराकर, मिट्टी में पोषण को वापस लाने का कार्य करते हैं. इससे मिट्टी की उपजता बनी रहती है. ये मिट्टी को महीन कणों में तोड़ते हैं, जिससे मिट्टी में जल आसानी से प्रवेश कर सके. वृक्ष की जड़ें अत्यधिक जल को सोख कर जल के बहाव को कम करती है, जिससे मिट्टी का कटाव अथवा मृदा अपरदन में कमी आती है और उपजाऊ शक्ति बरकरार रहती है.