किसानों व मवेशी पालकों में मानसून की बेरुखी से त्राहिमाम की स्थिति

सरायकेला।  जिले में अब तक अल्पवृष्टि की जो स्थिति है उससे किसानों में त्राहिमाम मचा हुआ है.  किसानों के अनुसार अब बारिश होती भी है तो फसल उत्पादन में कमी आने के साथ ही उत्पादन से अधिक खर्चीला हो जाएगा. निर्धारित समय के अंदर धान की रोपाई नहीं करने से चारा खराब हो जाते हैं, अगर पुनः नए सिरे से चारा तैयार भी करना चाहे तो 20 से 25 दिनों का अतिरिक्त समय चाहिए. क्षेत्र में अधिकतर सीधी बुआई पद्धति से जो खेती की जाती है, अगर उस फसल की बात करें तो पानी के अभाव में खेतों की मिट्टी कठोर हो गई है तथा खर-पतवार भी पनप गए हैं,. अब पानी होने पर भी खर-पतवार नियंत्रण बहुत खर्चीला हो जाएगा.

मवेशियों के खुराक में भी होने लगी कटौती

इस वर्ष सुखाड़ की उत्पन्न स्थिति से मैदानी भाग एवं खेत की मेड़ों पर भी घास की कमी दिखने लगी है. पशुओं के भोजन में प्रयुक्त घास काट कर बेचने वाले घसियारे भी गांव देहात में अब नजर नहीं आ रहे. घास रहेगी तब तो वे उसे काट कर पशुपालकों को बेचेंगे. जिनके पास थोड़े बहुत पुआल थे उन्‍होंने भी स्टॉक कर कीमत बढ़ा दिए हैं. सूखे चारे के रूप उपयोग होने वाला पुआल की प्रति आंटी (बंडल) जिसकी कीमत इस समय चार से पांच रुपये हुआ करती थी अब आठ रुपये हो गई है. शौकीन पशु पालकों को तो फर्क नहीं पड़ता परंतु दो तीन दुधारू गाय रख कर दूध का व्यवसाय करने वाले पशुपालकों के लिए पशु चारे की मंहगाई समस्या बन गई है.

यह रही है जुलाई माह में बारिश की स्थिति

वर्षापात के आंकड़ों की बात करें तो सामान्य से यह काफी कम है. जिले में प्रखंडवार जुलाई माह में वर्षा की स्थिति इस प्रकार है- सरायकेला में 191.2 मिलीमीटर, खरसावां में 247.0, कुचाई में 226.2, गम्हरिया में 132.2, राजनगर में 77.4, चांडिल में 158.6, नीमडीह मे 179.2, ईचागढ़ में 187.0 एवं कुकडु प्रखंड में 101.4 मिलीमीटर बारिश हुई है. जिला में औसत सामान्य बारिश 284.9 मिलीमीटर होनी चाहिए जिसके स्थान पर 166.7 मिलीमीटर ही हुई है.

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