5 साल में राज्य में जहरीली शराब से 427 लोगों की मौत

रांची। शराब ने न जाने कितनी जिंदगियों को तबाह कर दिया है और
न जाने कितने परिवारों को बर्बाद कर दिया है. शराब की खामियों को जानते हुए भी लोग नकली शराब तक पीने लगते हैं. इस वजह से लोगों की जान भी चली जाती है. झारखंड में अवैध शराब कारोबारी जहरीली शराब परोस रहे हैं. पांच साल में झारखंड में जहरीली शराब पीने से 427 लोगों को अपनी जान गवांनी पड़ी है. यह आंकड़ा एनसीआरबी द्वारा जारी किया गया है. आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2016 में 41, 2017 में 76, 2018 में 56, 2019 में 115 और 2020 में 139 लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हुई है.

जंगलों और नदियों के किनारे बनती है अवैध जहरीली शराब

राज्य में नशे की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है. जिलों के सीमावर्ती गांवों, नदियों-नालों के किनारों और जंगलों में शराब की भट्ठियां चल रही हैं. ऐसा भी नहीं है कि पुलिस और आबकारी विभाग को इसकी जानकारी नहीं है. यह सारा कारोबार इनकी नाक के नीचे और मिलीभगत से फल-फूल रहा है. कार्रवाई के नाम पर समान जब्त कर अज्ञात के विरुद्ध अधिकतर मामले दर्ज कर इतिश्री कर लिया जाता है. यही वजह है कि प्रदेश में अवैध शराब बनाने वाली भट्ठियों की आग ठंडी नहीं हो पाती. राज्य में लगभग किसी न किसी दिन अवैध शराब पकड़ी जा रही है. शराब पकड़ने के दौरान उसको लाने- ले जाने वाले लोग भी पकड़े जा रहे हैं. वह लग्जरी गाड़ियां भी पकड़ी जा रही हैं, जिनसे अवैध शराब का परिवहन हो रहा है. इन सबके बावजूद पर्दे के पीछे छिपे शराब माफियाओं पर कार्रवाई नहीं की जाती है.

ऐसे बनाते हैं शराब जहरीली

कच्ची शराब के कारोबारियों की मानें तो इसे बनाने के लिए गुड़, पानी, महुआ का इस्तेमाल करने के साथ तीव्रता बढ़ाने के लिए ऑक्सिटोन या फारमोलिन का उपयोग करने के साथ नौसादर और यूरिया भी मिलाया जाता है. बाजार में बिकने वाली शराब से यह काफी सस्ती और तीव्र होती है. यही नहीं स्प्रिट के सहारे भी अवैध कच्ची शराब तैयार की जाती है, लेकिन इसकी अधिक मात्रा हो जाने पर यह जानलेवा हो जाती है और इसे पीने वाले ¨जिंदगी से भी हाथ धो बैठते हैं. इतना ही नहीं, कई जगहों पर तो ये सौदागर सीधे स्प्रिट के जरिए ही मौत बेच रहे हैं.

10 लाख तक का मुआवजा और 10 साल की सजा का है प्रावधान

झारखंड उत्पाद संशोधन विधयेक 2022 को विधानसभा के मानसून सत्र में 4 अगस्त को विधानसभा से मंजूरी मिल गयी. झारखंड में अवैध, नकली या मिलावटी शराब पीने से मौत होने पर कोर्ट के आदेश से दोषी को 10 लाख रुपये तक का मुआवजा पीड़ित परिवार को देना होगा. साथ ही 10 साल तक कारावास में रहना होगा. अगर दोषी कोर्ट के आदेश के तहत मुआवजे का भुगतान नहीं कर पाता है, तो ऐसी स्थिति में कानूनी प्रक्रिया के तहत दोषी के चल-अचल संपत्ति से मुआवजे की वसूली की जायेगी. अवैध शराब से अपंगता या गंभीर तौर पर क्षति होने की स्थिति में कोर्ट द्वारा दोषी करार दिये गये व्यक्ति को पांच लाख रुपये तक का मुआवजा पीड़ित को देना होगा. यदि अवैध शराब के कारण किसी व्यक्ति को कोई क्षति नहीं हुई हो, फिर भी ऐसे मामलों में उस शराब व्यवसायी को सात साल तक की सजा और एक लाख रुपये के दंड का प्रावधान किया गया है.

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