हजारीबाग। इसमें कोई संदेह नहीं कि इन दिनों देश में महंगाई सिर चढ़ कर बोल रही है. कई चीजों के दाम तेजी से बढ़े हैं. यह सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बहस का विषय बन गया है. इसे लेकर कांग्रेस सड़कों पर है. वहीं आम जनता भी परेशान है.
खपरियावां नर्सिंग स्थान निवासी कुलदीप महतो कहते हैं कि महंगाई काफी अधिक है. राजमिस्त्री का काम कर दिनभर में 400 रुपए कमाते हैं. इतने में घर चलाना मुश्किल है. दिनभर की कमाई कैसे खत्म हो जाती है, पता भी नहीं चलता है. सब्जी से लेकर खाद्य सामग्रियों तक के दाम बढ़े हैं. बच्चों की पढ़ाई भी आसान नहीं रह गई है. उनकी फीस में भी बढ़ गई है. हर तरफ महंगाई मुंह बाए खड़ी है. कांग्रेस ठीक कहती है कि महंगाई है. भाजपा गलत बोल रही है कि महंगाई नहीं है.
झील रोड निवासी कपड़ा व्यवसायी दीपू कुमार कहते हैं कि भाजपा ने महंगाई चरम पर ला दी है. कांग्रेस गलत नहीं बोल रही है. खाद्य पदार्थ का रेट बढ़ गया है. हर क्षेत्र में महंगाई है. ऐसे में परिवार चलाना आसान नहीं है. दुकान में बचत कुछ नहीं हो पा रही. महंगाई इतनी है कि बिना कमाई के दुकान का किराया भरना पड़ रहा है. महंगाई की वजह से ग्राहकों की भीड़ कम हो गई है.
कटकमदाग प्रखंड स्थित गदोखर निवासी जहीरूद्दीन कहते हैं कि अब तो पर्व-त्योहार मनाना भी मुश्किल हो गया है. ईद हो या मुहर्रम जब पॉकेट में पैसे ही नहीं, तो कैसा पर्व, कैसा त्योहार. कांग्रेस महंगाई का विरोध कर रही है, तो वह गलत क्या कह रही है. भाजपा तो सफेद झूठ बोल रही कि महंगाई नहीं है. जिसके शासनकाल में महंगाई इतनी बढ़ी, वही बोल रही कि महंगाई नहीं है. अगर महंगाई नहीं है, तो गरीब परेशान क्यों है. मैं क्यों परेशान हूं.
पुलिस लाइन निवासी जगेश्वर कुमार कहते हैं कि महंगाई ने तो जीना हराम कर रखा है. भाजपा क्या बोलेगी. उसी ने तो महंगाई इतनी बढ़ा दी है कि अब बोलने के लिए कुछ रह नहीं गया. हम मध्यमवर्गीय परिवार का तो सबसे बुरा हाल है. गरीब की तो बात ही छोड़ दीजिए. जो चीज खरीदने जाते हैं, उसी का मूल्य आसमान छू रहा है.
केरेडारी स्थित कंडाबेर निवासी दिवाकर पाठक कहते हैं कि जीएसटी दर बढ़ा दिया गया है. पहले बचत कर पाते थे. अब बचत नाम की चीज नहीं रह गई. जो भी चीज की खरीदारी करने गए, सभी के दाम आसमान छू रहे हैं. सब्जियों से लेकर खाद्य सामग्री तक की कीमत आसमान छू रही है. आज तो शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक इतना महंगा हो गया है कि अच्छे हॉस्पिटल में इलाज और अच्छे संस्थानों में बच्चों की पढ़ाई कराना आम लोगों के सिए संभव नहीं है.