सीएम की फिरकी के आगे भाजपा- कांग्रेस हुई चारों खाने चित

रांची। जो हारी हुई बाजी जीते उसे बाजीगर कहते हैं. झारखंड में मचे सियासी तूफ़ान में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बाजीगर बनकर उभरे हैं. महाराष्ट्र के तर्ज पर झारखण्ड में सत्ता परिवर्तन को लेकर तैयार की गई पिच पर भाजपा-कांग्रेस के खिलाड़ी टिक नहीं सके. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की फिरकी के आगे भाजपा और कांग्रेस चारो खाने चित हो गए. इतना ही नहीं दोनों ही दलों के नेताओं के मुंह से आवाज तक नहीं निकल रही है. विधानसभा के मॉनसून सत्र से पहले शुरू हुए इस खेल में भाजपा का यह निशाना था कि सदन में मनी बिल पर सरकार गिराने का खेला किया जाय, लेकिन उससे पहले ही हेमंत सोरेन ने बाजी पलट दी. एक चिंता यह भी थी कि कहीं कांग्रेस के गिरफ्तार तीन विधायकों के आलावा कुछ और विधायक सदन में सरकार के खिलाफ कोई कारवाई ना कर दे, इसका भी निदान हेमंत सोरेन ने निकाल लिया था. सदन में सत्ता पक्ष के चार विधायक अनुपस्थित थे. तीन कांग्रेस के गिरफ्तार विधायक और एक झामुमो के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो, जिनका इलाज चेन्नई में चल रहा है. इस बाधा को भी बड़ी आसानी के साथ हेमंत ने पार कर लिया और इसमें उनका साथ दिया भाजपा के विधायकों ने. भाजपा के विधायकों ने हंगामा कर सदन को बाधित कर रखा था. स्पीकर ने भाजपा के चार विधायकों को निलंबित कर दिया. संख्या बल के हिसाब से भाजपा काफी पीछे रह गयी. यहाँ भी हेमंत ने भाजपा की एक नहीं चलने दी.

कांग्रेस में मचा हुआ है आतंरिक घमासान

कांग्रेस विधायक कैश कांड के खुलासे के बाद प्रदेश कांग्रेस में आंतरिक घमासान मचा हुआ है. सभी एक दूसरे को शक की नजर से देख रहे हैं. स्थिति यह है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता को अपने विधायकों को समेटने के लिए सत्र समाप्ति के बाद बैठक करनी पड़ी. मीडिया के सामने यह बताना पड़ा कि सभी विधायक एकजुट हैं. लेकिन अंदरखाने बात कुछ और है. दरअसल तीन विधायकों की गिरफ्तारी के बाद सियासी गलियारे में यह चर्चा आम थी कि कांग्रेस कोटे के तीन मंत्रियों को बदला जाएगा. दिल्ली दरबार तक याह बात पहुँच गयी थी. कहा यह जा रहा था कि आलाकमान से भी इस बाबत हरी झंडी मिल गयी थी लेकिन बाद में यह चर्चा होने लगी कि तुरंत एक्शन में आने के बाद मामला और बिगड़ सकता है. हालाँकि यह तो तय है कि कुछ समय लगे लेकिन कांग्रेस कोटे के मंत्रियों में फेरबदल होना है. पार्टी यह पता लगाने में है कि आखिर कौन कौन विधायक हैं जो पलटी मारनेवाले थे. पार्टी सूत्रों का कहना है कि संगठन को इस बात की जानकारी मिल गयी है कि सरकार बदलने में कौन कौन विधायक शामिल थे लेकिन पार्टी को टूट से बचाने के लिए प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व फूंक फूंक कर काम कर रही है.

“दीदी” ने “दादा” को दी संजीवनी

झारखंड में मचे सियासी घमासान में अपनी सत्ता को बचाने में हेमंत सोरेन सफल हो गए हैं लेकिन “दीदी” ममता बनर्जी ने “दादा” हेमंत सोरेन ने इसके लिए संजीवनी दी है. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सार्थक सहयोग का नतीजा है कि फिलहाल झारखंड के ऑपरेशन लोटस सफल नहीं हो सका. दीदी भी ‘दादा’ की सरकार को किसी भी हाल में बचाना चाह रहीं हैं. पिछले एक सप्ताह से पश्चिम बंगाल की पुलिस की कार्रवाई तो इसी ओर इशारा कर रही है. पिछले दिनों पश्चिम बंगाल में झारखंड से जुड़ी दो बड़ी घटनाएं हुईं हैं, जो सीधे तौर पर हेमंत सोरेन की सरकार से जुड़ी हैं. वैसे तो राष्ट्रीय राजनीति में झारखंड की राजनीति की चर्चा कम ही होती है, लेकिन पिछले कुछ महीनों से झारखंड की राजनीति पूरे देश में सुर्खी में है. वजह यह है कि यह वह राज्य है जहां गैर बीजेपी सरकार है, जहां जहां गैर बीजेपी सरकार रही है, वहां की राजनीति हमेशा गरमाई रहती है. झारखंड कुछ चुनिंदा राज्यों में से एक है जहां कांग्रेस सत्ता में है. वजह साफ है, पिछले कुछ सालों की राजनीति को देखें तो बीजेपी प्रयास में रहती है जहां उनकी सरकार नहीं है वहां दूसरे दलों को तोड़कर सत्ता में आए. झारखंड में भी उसी का आशंका जताई जा रही है. झारखंड के सत्ताधारी दलों की मानें तो राज्य में 2019 में जब से हेमंत सोरेन की सरकार बनी है, तभी से सरकार को गिराने का प्रयास किया जा रहा है. चाहे वो हेमंत सोरेन पर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला हो, चाहे शेल कंपनियों का मामला हो, चाहे मनरेगा घोटाला हो, चाहे खनन पट्टा का मामला हो या फिर विधायकों की खरीद फरोख्त का मामला हो, सभी मामले को विपक्ष सरकार गिराने की कोशिश बता रहा है.

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