लातेहार । वन भूमि की खरीद बिक्री नियमविरूद्ध मानी जाती है. पर लातेहार जिले के निबंधन कार्यालय (रजिस्ट्री ऑफिस) से जमीन की खरीद-बिक्री की जाती है. सूचनाधिकार कानून (आरटीआई) से यह जानकारी सामने आयी है. आरटीआई कार्यकर्ता सह भारतीय सूचना अधिकार रक्षा मंच के केंद्रीय अध्यक्ष रविकांत पासवान ने आरटीआई के जरिये प्राप्त सूचना से इसका खुलासा किया है. मिली जानकारी के आधार पर रविकांत ने दावा किया है कि लातेहार का निबंधन कार्यालय माफियाओं का अड्डा बन गया है. यहां भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है. रजिस्ट्रार मोहनलाल मरांडी और भूमि माफियाओं ने मिल कर वन भूमि ही बेच डाली है. भ्रष्टाचार को पोसने में सरकारी सेवक ही अगुआ बन गये हैं.
क्या मांगी गई जानकारी
रविकांत ने आरटीआई के तहत वन भूमि के जमीन की खरीद बिक्री से संबंधित सूचनाएं मांगी थी. इस पर जिला अवर निबंधक, लातेहार के पत्रांक-120, दिनांक-13.07.2022 के द्वारा मिली सूचना से खुलासा हुआ कि विक्रय पत्र निबंधन संख्या (डीड नंबर )-457/2022, मौजा-डुरंगी कला, हल्का नंबर-5, थाना नंबर -183, खाता नंबर -83, प्लॉट नंबर-883, कुल रकबा- X-75.596 डिसमिल बिक्री किया गया था. इसका बाजार मूल्य करोड़ों रुपए में है. जब मिली सूचना के आधार पर उसका अवलोकन किया गया तो पाया गया कि विक्रय पत्र निबंधन संख्या (डीड नंबर)-457/2022 में मौजा, डुरंगी कला, खाता नंबर-83, प्लॉट नंबर-883 से सम्बंधित किसी भी प्रकार का कोई दस्तावेज-पेपर नहीं लगा है. न तो रसीद लगा है और न ही खतियान. न ही भू धारण प्रमाण पत्र लगा है. बावजूद इसके रजिस्ट्री हो गई. झारखण्ड सरकार के द्वारा एनजीडीआरएस में स्पष्ट गाइडलाइन है कि बिना ऑनलाइन रसीद या खतियान या भू- धारण के रजिस्ट्री नहीं होगी. बावजूद इसके इस रजिस्ट्री का हो जाना सवालों के घेरे में है. रविकांत ने मिली जानकारी और अवलोकन के आधार पर जिले के डीसी भोर सिंह यादव से इसकी जांच कर कार्रवाई की मांग की है.