रांची। नोएडा में अवैध रूप से बनाए गए ट्विन टावर को एक दिन पहले गिरा दिया गया. बिल्डर ने जितनी अनुमति ली थी उससे ज्यादा ऊंची इमारत खड़ी कर दी थी. कोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए इसे अवैध पाया और तोड़ने का आदेश दे दिया. ऐसे ही कई टावर रांची समेत राज्यभर में हैं. जिनके प्रोजेक्ट को रेरा ने रिजेक्ट कर दिया. इसके बाद भी ये टावर शान से शहर के बीच खड़े हैं. वहीं कई प्रोजेक्ट अब अंतिम चरण में है. इसके बावजूद बिल्डरों ने प्रोजेक्ट से जुड़े कागजात तक रेरा में जमा नहीं कराए हैं ऐसे में अप्रूवल मिलना तो दूर की बात है. अब सवाल यह उठता है कि झारखंड के इन ट्विन टावरों पर कार्रवाई कब होगी.
300 से अधिक प्रोजेक्ट रिजेक्ट
झारखंड रियल इस्टेट रेगुलेटरी ऑथोरिटी का गठन होने के बाद राज्य में सभी बिल्डरों को रजिस्टर्ड कराने का आदेश दिया गया. इसे लेकर रेरा लगातार बिल्डरों को नोटिस भी जारी कर रहा है. इसके बाद भी अबतक राज्य में 1002 प्रोजेक्ट ही रजिस्टर्ड है. वहीं रेरा ने 304 प्रोजेक्ट को जरूरी कागजात नहीं होने की स्थिति में रिजेक्ट कर दिया है. फिर भी सभी प्रोजेक्ट का काम जारी है.
कार्रवाई हुई तो खामियाजा भुगतेंगे लोग
कई बिल्डर ग्राहकों को फ्लैट बेचकर भी जा चुके हैं. अब ये टावर सोसायटी के जिम्मे है. अगर इन अवैध टावरों पर कार्रवाई होती है या अपार्टमेंट खाली कराने की नौबत आती है तो इसका खामियाजा वहां रह रहे ऑनरों को भुगतना होगा. वहीं कार्रवाई की स्थिति में उनका हर्जाना कौन देगा. वहीं लोगों की इस परेशानी के लिए जिम्मेवार कौन होगा.
इस मामले में रेरा की चेयरमैन सीमा सिन्हा ने कहा कि हमलोग बिल्डरों को नोटिस देते हैं और उनसे कागजात मांगे जाते हैं. जरूरी कागजात नहीं होने की स्थिति में उनका प्रोजेक्ट रिजेक्ट कर दिया जाता है. इसके बाद उन्हें दोबारा से सभी कागजातों के साथ आवेदन करना है. हमलोग कार्रवाई करते हैं और अपार्टमेंट में फ्लैट खरीदने वालों को मुआवजा भी दिलाते हैं.