रांची । भाजपा विधायक भानू प्रताप शाही ने सीएम हेमंत सोरेन को चिट्ठी लिखी है. यूपीए द्वारा राजभवन, केंद्रीय चुनाव आयोग और अन्य पर उंगली उठाए जाने पर नाराजगी जतायी है. उन्होंने कहा है कि हाल के दिनों में जारी राजनीतिक घटनाक्रम से सीएम बेचैन दिख रहे हैं. संख्या बल के आधार पर राजभवन, चुनाव आयोग और मीडिया को निशाने पर लिया जा रहा है. यह संवैधानिक संस्थाओं को स्वतंत्र तौर पर काम करने से रोकने की कोशिश है. फर्ज करें कि किसी के खिलाफ मामला चल रहा हो और उसे सुनवाई के बाद सुरक्षित रख लिया गया हो तो कोई भी संवैधानिक संस्था या कोर्ट को जल्द फैसले के लिये बाध्य नहीं किया जा सकता. पर झारखंड में सीएम के नेतृत्व में यूपीए के सहयोगी उल्टी गंगा बहाने में लगे हैं.
संख्या बल पर गुरूर गैर वाजिब
सीएम के सहयोगी राजभवन से आयोग के फैसले को जल्द सार्वजिनक करने को कह रहे है. आयोग और राजभवन की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं. अभी ऐसे में सीएम को लोकतंत्र पर खतरा नहीं दिख रहा. इस प्रकरण से यह स्पष्ट हो गया है कि लोकतांत्रिक मूल्यों को लेकर सीएम की कितनी निष्ठा है. नैतिकता का तकाजा यही था कि धैर्यपूर्वक फैसले का इंतजार करते. पर सीएम और उनके विधायक संख्या बल पर इतरा रहे हैं. संख्या बल से संवैधानिक संस्थाओं को डराने का असफल प्रयास हो रहा है. इससे भविष्य में आपको कोई लाभ नहीं मिलने वाला. पर इससे झारखंड की छवि खराब हो रही.
पिकनिक पॉलिटिक्स में सरकार
भानू ने नाराजगी जताते कहा कि सत्ता सेवा का माध्यम है पर सीएम एक खनन पट्टा लेने के मामले में घिर गये. सवा तीन करोड़ जनता की सेवा करने की बजाये अपने परिवार, अपने करीबियों के विकास में सीएम मशगुल हो गये. इसके कारण आज देश भर में राज्य सरकार की चर्चा हो रही है.
खुद सीएम रहते पट्टा हासिल किया. दुमका की एक बेटी को जला दिया गया. रिम्स में वह कराहती रही पर यह सरकार लतरातु में पिकनिक पॉलिटिक्स में लगी रही. दंगा भड़काने वाले लोगों के लिये सरकार ने एयर एंबुलेंस की व्यवस्था की पर झारखंड की बेटी इलाज के अभाव में गुजर गयी. सरकार यहां भी यही दिखाती रही कि वह लाख गलती करे पर कोई हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता क्योंकि संख्या बल उनके साथ है. कौरवों को भी अपने संख्या बल पर इसी तरह से गुमान था पर परिणाम सबको मालूम है.