रांची । ‘जेल’ शब्द सुनते ही आम आदमी का पसीना छूटने लगता है. सलाखों के पीछे कैद होने के बाद रिहाई की आस लिए सजायाफ्ता अंगुलियों पर दिन गिनता रहता है. जिन कैदियों की सुरक्षा का ख्याल करते हुए प्रदेश सरकार की मंशा पर जेल से पैरोल पर छोड़ा गया था. वह लौट कर फिर नहीं आए. यह एनसीआरबी के डाटा से खुलासा हुआ है. वर्ष 2021 में 259 लोगों को पैरोल पर रिहा किया गया था, जिसमें 255 पुरुष कैदी और 4 महिला कैदी शामिल है. इनमें से 7 बन्दी वापस नहीं आए हैं. जबकि 2020 में 114 लोगों को पैरोल पर रिहा किया गया था, जिसमें 105 पुरुष और 9 महिला बन्दी शामिल हैं. सभी कैदी पैरोल अवधि समाप्त होने के बाद वापस लौट आये थे. जानकारी के अनुसार कोरोना काल में क्षमता से अधिक कैदियों को देखते हुए उन्हें सुरक्षा के लिहाज से पैरोल पर छोड़ा गया था. पैरोल समाप्त होने पर अधिकांश बन्दी लौट आए. उनमें से 7 बंदी अभी तक नहीं लौटे हैं. जिनकी तलाश कर कैद में डालने के लिए कई प्रयास किये गये, उसके बाद भी कोई सार्थक परिणाम नहीं आया. अलग-अलग धाराओं में बंद कैदियों को सरकार की मंशा के तहत उनकी सुरक्षा के लिए छोड़ा गया था. जेल की चहारदीवारी से निकलने के बाद वह फिर पुलिस की पकड़ से दूर हैं. स्थानीय पुलिस और जेल प्रशासन इनकी तलाश में है.
जाने क्या होता है पैरोल
सजायाफ्ता कैदी को उसकी सजा की अवधि पूरी न हुई हो या सजा की अवधि समाप्त होने से पहले उस व्यक्ति को अस्थायी (टेम्पररी) रूप से जेल से रिहा करने को पैरोल कहते हैं. पैरोल दो तरह का होता है. पहला कस्टडी पैरोल जब कैदी के परिवार में किसी की मौत हो गई हो या फिर परिवार में किसी की शादी हो या फिर परिवार में कोई सख्त बीमार हो, उस वक्त उसे कस्टडी पैरोल दिया जाता है. इस दौरान आरोपी को जब जेल से बाहर लाया जाता है तो उसके साथ पुलिसकर्मी होते हैं और इसकी अधिकतम अवधि 6 घंटे के लिए ही होती है. दूसरा रेग्युलर पैरोल रेग्युलर पैरोल दोषी को ही दिया जा सकता है, अंडर ट्रायल को नहीं. अगर दोषी ने एक साल की सजा काट ली हो तो उसे रेग्युलर पैरोल दिया जा सकता है. यह पैरोल बंदी व्यक्ति के अच्छे आचरण (गुड विहैबियर) को ध्यान में रखते हुए दी जाती है. जानकारों की मानें तो अपराधी के घर या परिवार में किसी प्रकार की दुर्घटना घटती है, किसी प्रकार का कोई सरकारी कार्य अधूरा रह गया हो तो उसे पैरोल पर रिहा किया जा सकता है. पैरोल सजायाफ्ता कैदी को ही मिलती है, उसे अपनी संपत्ति बेचनी है, या उस संपत्ति को अपने किसी परिवार वाले या किसी रिश्तेदार के नाम स्थानांतरण करना चाहता है, तो उसके लिए कैदी पैरोल ले सकता है.