रांची। दुमका में नाबालिग अंकिता की हत्या मामले में पुलिस की कार्यशैली शुरु से सवालों के घेरे में है. दुमका पुलिस की कार्यशैली इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है. दुमका की जिस बेटी को जला दिया गया. पुलिस इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद नाबालिग को प्राथमिकी में छेड़छाड़ कर बालिग बना दिया. घटना इतनी बड़ी और एफआईआर में छेड़छाड़ होने से पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लग गया. लोगों को आश्चर्य हो रहा है कि आखिर पुलिस ने किसके दबाव में ऐसा किया. या पुलिस की इस मामले में कुछ और मंशा थी. पुलिस विभाग के आला अधिकारी अपने कनीय अधिकारियों को अपनी कार्यशैली व व्यवहार सुधारने के लिए लाख नसीहत दे रहे हों. पर दुमका पुलिस की कार्यशैली और रवैये से झारखंड पुलिस की इन दिनों खूब किरकिरी हो रही है. 23 अगस्त को पीड़िता के बयान पर आईपीसी की धारा 326, 307, 506 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी थी, पीड़िता ने अपने बयान में अपनी उम्र 17 साल बतायी लेकिन प्राथमिकी में छेड़छाड़ कर उसे 19 साल कर दिया गया था. इसके बाद मामला सीडब्लूसी के संज्ञान में आया सीडब्ल्यूसी दुमका के बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट ने मामले की जांच की. तो मैट्रिक के अंकपत्र पत्र में जन्म तिथि 26 नवम्बर 2006 थी, इसके मुताबिक घटना के दिन 15 वर्ष 9 माह थी. सीडब्लूसी ने दुमका एसपी से पोक्सो एक्ट की धारा सहित आईपीसी की धारा जोड़ने की अनुशंसा की थी. इसके बाद आईपीसी पोक्सो एक्ट के धाराओं को जोड़ा गया. वही पुलिस की इस कार्यशैली को लेकर पुलिस मुख्यालय दुमका रेंज के डीआईजी से पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी. रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जायेगी. ऐसे में कुछ लोगों पर कार्रवाई तय मानी जा रही है.
डीएसपी की भूमिका पर उठे सवाल तो केस से हटाया गया
छात्रा की मौत के बाद दुमका सहित राज्य भर में गुस्साए लोग सड़कों पर उतर आए. हत्याकांड को डीएसपी नूर मुस्तफा की भूमिका पर लोग सवाल उठा रहे थे. पीड़ित परिवार के लोगों ने पक्षपात का आरोप लगाया था, साथ ही बीजेपी के नेता भी डीएसपी नूर मुस्तफा के संदिग्ध भुमिका पर आपत्ति जताई थी. इसके बाद डीएसपी नूर मुस्तफा को केस से हटा दिया गया. पूर्व सीएम रघुवर दास ने तो डीएसपी नूर मुस्तफा पर पीएफआई से मिली भगत होने का गंभीर आरोप लगाया था.मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए डीजीपी को मिडिया में साक्षात्कार देने वाले अधिकारी पर कार्रवाई का निर्देश दिया, जिसमें आरोपी शाहरुख को विक्षिप्त बताया था
प्रतिबंधित संगठन अंसार उल बांग्ला जांच के घेरे में
शाहरुख और नईम दोनों के मोबाइल और संपर्क में रहने वाले को पुलिस खंगालने में जुटी है. पुलिस गिरफ्त में आये दूसरे आरोपी मो. नईम प्रतिबंधित संगठन अंसार उल बांग्ला से प्रभावित था. पुलिस को जानकारी मिली है कि नईम अक्सर अपने मोबाइल पर इस संगठन की गतिविधियों को देखता था. यह संगठन दूसरे धर्म की लड़कियों से शादी के लिये प्रेरित करता है. पुलिस के रडार पर प्रतिबंधित संगठन अंसार उल बांग्ला भी है. आशंका है कि मो. नईम का इस संगठन से कनेक्शन है. आरोपी नईम पर एक साल पूर्व भी नाबालिग लड़की को अगवा कर धर्मांतरण के लिये दबाव देने का आरोप है. हाल ही में पुराना दुमका की रहने वाली एक नाबालिग ने खुलासा किया था. मामले में आरोपी जेल भे गया था. हाल ही में जमानत पर निकला था. पुलिस मो. नईम के पुराने आपराधिक इतिहास खंगाल रही है. नाबालिग हत्याकांड में नईम ने घटना की रात शाहरुख को 60 रुपए का पेट्रोल खरीदकर दिया था.