आदिवासियों की दुर्दशा के लिए सबसे अधिक झामुमो दोषी -पूर्व सांसद सालखन मुर्मू

जमशेदपुर। झारखंड के आदिवासियों की दुर्दशा के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा सबसे अधिक दोषी है. यह कहना है पूर्व सांसद सह सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू का. उन्होंने कहा है कि झामुमो के आला नेताओं ने 50 वर्षों की राजनीति में कभी भी आदिवासी समाज में व्याप्त अंधविश्वास, डायन प्रथा, नशापान, वोट की खरीद बिक्री, ईर्ष्या-द्वेष, आदिवासी महिला विरोधी मानसिकता, वंशानुगत पारंपरिक आदिवासी स्वशासन व्यवस्था में सुधार लाने जैसे मामलों पर कभी कुछ भी नहीं किया. केवल वोट और नोट के लिए राजनीति की, न की आदिवासी समाज की तरक्की के लिए कुछ नहीं किया. इतना ही नहीं, संताली को झारखंड की प्रथम राजभाषा बनाने, सरना धर्म कोड की मान्यता, स्थानीयता नीति, न्यायसंगत आरक्षण नीति, नियोजन नीति, विस्थापन के खिलाफ पुनर्वास नीति बनाने आदि पर भी कुछ नहीं किया है. 23 मार्च 2021 को झारखंड विधानसभा में सीएनटी/एसपीटी कानून को तोड़कर लैंड पूल बिल भी पास कर दिया गया. संताल हूल के महानायक सिदो मुर्मू के वंशज रामेश्वर मुर्मू की संदिग्ध हत्या  के खिलाफ सीबीआई जांच की घोषणा कर मुकर जाना, पुलिस अफसर रूपा तिर्की की संदिग्ध मौत के मामले पर आदिवासी विरोधी रवैया अपनाना, प्रमाणित करता है हेमंत सरकार को आदिवासी से कोई लेना देना नहीं है. उनके लिए मुसलमान और ईसाई वोट बैंक को खुश रखना मजबूरी है. भले ही सरना आदिवासी समाज बर्बाद हो जाय.

कहा-आदिवासी अस्तित्व को बचाने लड़ाई रहेगी जारी  

श्री मुर्मू ने कहा कि गांव-गांव में विद्यमान माझी परगना व्यवस्था या ट्राईबल सेल्फ रूल सिस्टम जाने -अनजाने नासमझी, स्वार्थ और लोभ- लालच में आदिवासी गांव समाज को खुद नेस्तानाबूद करने में सक्रिय हैं. झामुमो और माझी परगना महाल आदि की मिलीभगत आदिवासी अस्तित्व, पहचान और हिस्सेदारी के लिए बड़ी खतरा बन चुका है. आदिवासी सेंगेल अभियान इस खतरनाक जानलेवा नापाक गठजोड़ के खिलाफ आवाज उठाने के लिए बाध्य है. इसके लिए लड़ाई जारी रहेगी.

5 राज्यों के 50 जिलों में पुतला दहन करने का ऐलान

पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा कि दुमका जिले में 3 महिलाओं के ऊपर हुई बर्बरतापूर्ण घटना और लोहरदग्गा जिले की घटना के विरोध में आदिवासी सेंगेल अभियान 5 प्रदेशों के लगभग 50  जिलों में संदिग्ध अपराधियों का पुतला दहन कर विरोध दर्ज करेगा. साथ ही राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भेज कर न्याय की मांग करेगा.

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