रांची। कोविड महामारी के बाद से झारखंड में लघु और सूक्ष्म उद्योगों के प्रति रुझान में कमी आयी है. पहले जहां उद्योगों को जमीन मिलने में परेशानी आ रही थी. बताया जा रहा है कि अब अन्य कारणों से भी यहां उद्योग शिफ्ट हो रहे हैं. चेन्नई, मुंबई, एमपी, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के प्रति यहां के उद्यमियों की रूचि देखी जा रही है. दो सालों में लगभग आठ सौ आवेदन निबंधन रद्द करने के लिये विभाग को मिले. जिन्हें रद्द भी किया जा चुका है. पिछले दिनों चर्चा थी कि राज्य में कई बड़ी टेक्सटाइल कंपनियां खुलने वाली है. अब इस चर्चा पर विराम लग चुकी है. माना जा रहा है कि राज्य सरकार से सब्सिडी और जमीन नहीं मिलने की वजह ये इंडस्ट्रीज अन्य राज्यों में शिफ्ट हो गए. ये कंपनियां ओरमांझी, इरबा जैसे इलाकों में लगने थे.
मांग में कमी के कारण कई उद्योग बंद
राज्य में अधिकांश लघु और सूक्ष्म उद्योगों के बंद होने का प्रमुख कारण मांग में आयी कमी है. राज्य में अधिकांश लघु उद्योग आयरन ओर और स्टील डस्ट की है. इन कंपनियों की अधिकांश निर्भरता टाटा स्टील, जैसी मदर कंपनियों पर होती है. बड़ी कंपनियों से ऑर्डर मिलने में कमी के कारण भी राज्य के उद्योग बंद हो रहे है. तुपूदाना क्षेत्र में पिछले दिनों सेंक नामक उद्योग बंद हो गयी. क्षेत्र में लगभग 80 उद्योग है. जिनकी निर्भरता इस कंपनी के ऑर्डर पर थी. हालांकि कोविड महामारी के पहले स्टेज के दौरान से ही क्षेत्र की कंपनियां मंदी से गुजर रही है. इस इलाकें की कंपनियों को कच्चा माल भी नहीं मिल पा रहा. जिससे परेशानी बढ़ गयी ही.
जमीन का विवाद प्रमुख वजह
राज्य में उद्योगों के बंद होने की प्रमुख वजहों में जमीन भी शामिल है. राज्य सरकार औद्योगिक नीति के तहत उद्योगों को जमीन मुहैया तो कराती है. लेकिन राज्य के अधिकांश इलाकों में स्थानीय विवाद के कारण उद्यमी इसमें अधिकार नहीं कर पाते. देवीपुर इंडस्ट्रीयल एरिया, बरही इंडस्ट्रीयल एरिया समेत अन्य इलाके शामिल है. देवीपुर इंडस्ट्रीयल एरिया में 82 ऐसे प्लॉट है. जिनमें उद्यमियों का अधिकार 2018 से नहीं हो पाया है.
उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिये नीति
राज्य में समय समय पर उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिये नीति बनायी गयी है. पिछले कुछ सालों में औद्योगिक नीति के तहत सब्सिडी समेत सिंगल विंडो सिस्टम के तहत अन्य प्रावधान किये गये. वहीं, एथनॉल पॉलिसी समेत अन्य लागू किया गया है.