धूमधाम से सिंदरी में मनाया जाएगा दशहरा,रावण का 65 फुट लंबा पुतला होगा दहन

धनबाद। सिंदरी समेत धनबाद जिला के निवासी इस वर्ष रावण दहन उत्सव का आनंद उठाएंगे जो कई मायनों में सिंदरी उर्वरक कारखाने के उदय के दौरान बस्ती की पहचान और इसकी समृद्धि से जुड़ा है. इस वर्ष असत्य पर सत्य का प्रतीक रावण दहन कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया जाएगा. 65 फुट लम्बा 40 फीट चौड़ा रावण का पुतला जलाया जाएगा. इसकी तैयारी अभी से शुरू हो गई है. मंगलवार को शिव मंदिर पूजा समिति के सचिव और पूर्व पार्षद दिनेश सिंह ने इस संबंध में प्रेसवार्ता कर कहा कि कोरोना के कारण दो साल बाद एक बार फिर से रावण दहन कार्यक्रम का आयोजित होने जा रहा है. इस वर्ष 65 फुट लम्बा और 40 फीट चौड़ा रावण का पुतला विजयादशमी को जलाया जाएगा. उन्होंने कहा कि रावण दहन सिंदरी में दुर्गा पूजा के 10 वें दिन, विजया दशमी के दौरान दोपहर लगभग 3 बजे जुलूस के साथ शुरू होगा. ढोल की थाप और शंख बजाने के बीच राम, लक्ष्मण, हनुमान और सुग्रीव के रूप में अभिनेता रथ में सवार होकर सिंदरी की सड़कों पर मार्च करेंगे. जिसका समापन शहरपुरा शिवमंदिर में होगा. 50,000 से अधिक लोगों के सिंदरी में उत्सव को देखने के लिए एकत्र होने की संभावना है.प्रेस वार्ता में शिव मंदिर शहरपुरा के सचिव पूर्व पार्षद दिनेश सिंह, समाजसेवी विदेशी सिंह, रासबिहारी सिंह, शिवकुमार पांडेय, प्रमोद सिंह, कामेश्वर सिंह, अधिवक्ता दिनेश सिंह, सुभाष सिंह, ब्रजेश सिंह, कामख्या सिंह, संजय सिंह, अजय सिंह आदि थे.

रावण दहन का 67 सालों का है गौरवशाली इतिहास 

बताया जाता है कि रावण दहन 1955 में भारतीय उर्वरक निगम के उदय के दौरान शुरू हुआ और 1960 के दशक में अपने चरम पर पहुंच गया और 1970 के दशक तक कायम रहा. हालांंकि, त्यौहार ने 1980 के दशक में अपनी चमक खोना शुरू कर दिया क्योंकि कंपनी ने घाटा दर्ज करना शुरू कर दिया था. बाबजूद इसके सिंदरी का रावण दहन कार्यक्रम में धनबाद जिला के साथ अभिवाजित बिहार के समय से लोकप्रिय बना हुआ है. सिंदरी में जिले का सबसे भव्य रावण दहन का कार्यक्रम 1956 से ही होता रहा है.लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना के कारण लगातार दो साल सिंदरी के अलावा झरिया के कांडरा, पाथरडीह, मोहन बाजार, भौंरा और बलियापुर में रावण दहन महोत्सव को कोरोना का ग्रहण लग गया था.

चार बार नहीं हुआ रावण दहन महोत्सव

रावण दहन महोत्सव कार्यक्रम,सिंदरी के सचिव दिनेश सिंह ने कहा कि पिछले 67 सालों में अब तक चार मौके ऐसे आए जब यहां रावण दहन का कार्यक्रम नहीं हो सका. पहली बार झरिया के पूर्व विधायक सूर्यदेव सिंह के निधन पर 1991 में रावण दहन नहीं हुआ. इसके बाद शहरपुरा शिव मंदिर समिति के अध्यक्ष प्रभुनाथ सिंह के निधन पर 2017 में रावण दहन नहीं हो सका. फिर कोरोना काल के दौरान वर्ष 2020 और 2021 में रावण दहन कार्यक्रम सरकार के निर्देश पर स्थगित करना पड़ा. कोरोना काल के खत्म होते ही और उत्साह के साथ सिंदरी में रावण दहन कार्यक्रम का आयोजन इस वर्ष फिर से भव्य पूर्वक किया जा रहा है.

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