रांची। झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश एसएन प्रसाद की अदालत में कोर्ट फीस से जुड़े मामले पर सुनवाई हुई । कोर्ट फीस को बढ़ाए जाने को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सरकार की ओर से जवाब पेश नहीं किया जा सका. महाधिवक्ता ने अदालत को जानकारी दी कि सरकार के अधिकारियों से कई बिंदुओं पर सकारात्मक बात हुई है लेकिन, बातचीत पूरी नहीं हो सकी है इसलिए जवाब पेश नहीं किया जा सका. उन्होंने जवाब के लिए समय की मांग की. अदालत ने उन्हें समय देते हुए 2 सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 2 सप्ताह बाद होगी. तब तक के लिए सुनवाई को स्थगित कर दिया गया है.
पूर्व में मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता ने अदालत से आग्रह किया कि जब तक सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आता है, तब तक कोर्ट फीस की वृद्धि पर अंतरिम रोक लगा देना चाहिए. अदालत ने उनके आग्रह को अस्वीकार करते हुए कहा था कि पहले सरकार का जवाब देख लिया जाना चाहिए. उन्होंने आश्वस्त किया कि मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद जो आदेश आएगा उस आदेश से कोर्ट फीस प्रभावित होगी. अधिवक्ता ने कहा कि कई बिंदुओं पर कोर्ट फीस में 10 गुणा वृद्धि हुई है.
क्या है पूरा मामला
झारखंड स्टेट बार काउंसिल की ओर से दायर याचिका में कोर्ट फीस वृद्धि को हटाने की गुहार लगायी गयी है. हाई कोर्ट के खंडपीठ ने पिछली सुनवाई में सरकार के अपर महाधिवक्ता को निर्देश दिया था कि वह कोर्ट फीस की वृद्धि पर सरकार से मंतव्य लेकर कोर्ट को अवगत कराएं. झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने मामले में पैरवी करते हुए कहा था कि कोर्ट फीस में बेतहाशा वृद्धि से समाज के गरीब तबके के लोग कोर्ट नहीं आ पाएंगे और वकीलों को भी अतिरिक्त वित्तीय भार का वहन करना पड़ेगा. काउंसिल ने यह भी कहा है कि कोर्ट फीस की वृद्धि से लोगों को सहज व सुलभ न्याय दिलाना संभव नहीं है. राज्य सरकार का कोर्ट फीस एक्ट गलत है. यह संविधान के खिलाफ है. साथ ही यह सेंट्रल कोर्ट फीस एक्ट के भी विरुद्ध है.