रांची। 5 सितंबर 2022 को झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र. मुद्दा था हेमंत सोरेन सरकार का सदन में बहुमत साबित करना. इस सत्र में झामुमो, कांग्रेस और राजद नेतृत्व वाली सरकार ने 48 विधायकों का समर्थन हासिल किया. एक दिन के सत्र में भाजपा विधायक समरी लाल की सदस्यता को लेकर भी सदन में सवाल उठा. सवाल उठाने वाले और कोई नहीं बल्कि खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन थे. मुख्यमंत्री ने सदन में कहा था कि देखिए, कैसे ये फर्जी विधायक मुंह छुपाये बैठा है. अब सत्र के महज तीन दिन बाद ही केंद्रीय चुनाव आयोग ने भाजपा विधायक को उनके गलत जाति प्रमाण मामले में एक नोटिस भी जारी कर दिया है. मतलब साफ है कि अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ-साथ अब भाजपा विधायक पर भी उनकी विधानसभा सदस्यता को लेकर तलवार लटक गयी है.
विधायक समरी लाल के मामले में भाजपा आखिर चुप्पी क्यों
बीते सोमवार के सत्र में मुख्यमंत्री ने सदन में कहा था कि उनकी सदस्यता रहने या नहीं रहने को लेकर भाजपा नेता पिछले कई दिनों से हाय तौबा मचा रहे हैं. लेकिन इनके विधायक समरी लाल को लेकर क्या हुआ, इसपर वे चुप्पी साधे हुए हैं. वह भी तब, कांके विधायक के प्रमाण पत्र को लेकर राज्यपाल ने केंद्रीय निर्वाचन आयोग को अनुशंसा तक भेज दिया है. हेमंत ने बीच सदन में कहा था कि भाजपा विधायक समरी लाल जो फर्जी विधायक है, यहीं बैठे हुए हैं. वे दूसरे राज्य से आकर फर्जी प्रमाण पत्र लेकर विधायक बने हुए हैं. इसके अलावा सदन में कुछ बिकाऊ विधायक भी बैठे हुए हैं.
कांग्रेस नेता ने की थी शिकायत
कांग्रेस नेता सह 2019 के कांके विधानसभा प्रत्याशी सुरेश बैठा ने समरी लाल के जाति प्रमाण पत्र को फर्जी बताते हुए चुनाव आयोग से शिकायत दर्ज करायी थी. लगातार न्यूज पोर्टल और शुभम संदेश दैनिक अखबार से बातचीत में सुरेश बैठा ने एक बार फिर दोहराया है कि भाजपा विधायक की सदस्यता जाना तय है. उनके शिकायत पर राज्य सरकार ने कल्याण विभाग को मामले की जांच का निर्देश दिया था. जिसके बाद कल्याण सचिव की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय छानबीन कमेटी बनायी गयी. कमेटी में प्रशासनिक सेवा सहित कई उच्च स्तरीय अधिकारी थे. जांच कमेटी ने करीब एक साल तक मामले की जांच की. जांच में समरी लाल के जाति प्रमाण पत्र को भी फर्जी बताया. कमेटी के बाद रांची डीसी स्तर पर भी मामले की जांच की गयी थी.
निर्वाचन आयोग से राय लेकर फैसला लें राज्यपाल
कांग्रेस विधायक के शिकायत के बाद झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो ने राज्यपाल को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि वो निर्वाचन आयोग से राय लेकर समरी लाल के मामले में फैसला लें. जिसके बाद राज्यपाल रमेश बैस ने निर्वाचन आयोग से मंतव्य मांगा था. उसी मंतव्य के बाद अब निर्वाचन आयोग ने समरी लाल को नोटिस भेज 15 दिनों के अंदर पक्ष रखने की बात की है.