दुमका। झारखंड की उपराजधानी दुमका में रोजगार की काफी कमी है. न यहां उद्योग धंधे हैं, न यहां की जमीन उर्वरक है और न ही पर्याप्त सिंचाई व्यवस्था है जिसमें सालों भर खेती हो सके. नतीजा यह होता है कि यहां के हजारों लोग कमाने के लिए दूसरे प्रदेश चले जाते हैं . बाहर कमाने गए कई मजदूर हादसे का भी शिकार हो जाते हैं. ऐसे में परिजनों के सामने बड़ी समस्या आ जाती है. इसे देखते हुए जिला प्रशासन की ओर से सुरक्षित और जिम्मेदार पलायन कार्यक्रम के तहत लोगों को जागरूक किया जा रहा है.
अक्सर होती हैं दुर्घटनाएं
एक आंकड़े के मुताबिक लगभग 50 हजार लोग प्रति वर्ष रोजगार के लिए बाहर जाते हैं. दुमका के मजदूर कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और गुजरात से लेकर मेघालय तक मजदूरी करने जाते हैं. अक्सर खबरें आती हैं कि इस गांव का आदमी काम करने के लिए लेह-लद्दाख गया था और वहां हादसे का शिकार होने से उसकी मौत हो गई. घर के सदस्य को खोने के साथ एक बड़ी परेशानी यह भी हो जाती है कि उसके मृत शरीर को कैसे लाया जाए. साथ ही साथ उनका परिवार जो दुमका में रहता है उसके सामने तो खाने के लाले पड़ जाते हैं क्योंकि घर का कमाऊ सदस्य अब नहीं रहा. यहीं पर सरकार और जिला प्रशासन की भूमिका शुरू हो जाती है.
जिला प्रशासन की क्या भूमिका है
अगर मजदूर कमाने के लिए बाहर गया है और वह श्रम विभाग में निबंधित है. श्रम विभाग को यह जानकारी देकर गया है कि वह मजदूरी के लिए किस राज्य में जा रहा है और उसके बाद किसी तरह की अनहोनी होती है तो वहीं से विभाग की जिम्मेदारी शुरू हो जाती है. दरअसल, बाहर पलायन करने से पहले अपना पंजीकरण करवाने वाले श्रमिक को हर एक सरकारी लाभ जो उनके लिए है वो मिलने में दिक्कत नहीं होगी. इसी बात को समझाने के लिए श्रम विभाग के द्वारा लोगों को जागरूक किया जा रहा है.
बड़तल्ली पंचायत के गांवों में निकाली गई रैली
श्रम नियोजन विभाग के द्वारा सुरक्षित और जिम्मेदार पलायन कार्यक्रम के तहत दुमका के बड़तल्ली पंचायत के गांवों में एक रैली निकाली गयी और गांव वालों को इसके बारे में जागरूक किया गया. रैली के माध्यम से लोगों को बताया जा रहा है कि आप रोजगार के लिए बाहर जाएं लेकिन पहले निबंधन कराएं. साफ शब्दों में कहें तो बाहर पलायन करने से पहले पंजीकरण करवाएं और सुरक्षित जाएं.
क्या कहते हैं दुमका उपायुक्त
इस मामले में दुमका उपायुक्त रवि शंकर शुक्ला ने बताया कि श्रमिक पलायन करने के पहले श्रम नियोजन विभाग में अपना नाम पंजीकृत कराएं. पहले तो उन्हें गांव-गांव में चल रहे मनरेगा योजना से जोड़ने का प्रयास होगा और अगर वह बाहर जाना ही चाहते हैं तो सरकार के जो तय नियम हैं, उससे गुजर कर जाएं. डीसी ने बताया कि अगर मजदूर निबंधित हैं और उसके बाद कोई अनहोनी हो जाती है तो शव लाने के लिए 50 हजार रुपये देने का प्रावधान है. साथ ही उसके घर वालों को दो लाख रुपये दिए जाते हैं. उपायुक्त ने कहा कि सुरक्षित और जिम्मेदार पलायन का यह कार्यक्रम दुमका के सभी पंचायतों में चलाया जाएगा और लोगों को जागरूक करने की कोशिश की जाएगी.