रांची। मेयर आशा लकड़ा ने रांची नगर निगम के नगर आयुक्त शशि रंजन को पत्र लिखा है, जिसमें 16 सितंबर को बोर्ड की बैठक बुलाने का निर्देश दिया गया है. वहीं उसमें शहर में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन करनेवाली एजेंसी को बदलने का भी निर्देश दिया गया है. जिससे शहर की सफाई व्यवस्था को दुरुस्त किया जा सके. उन्होंने नगर आयुक्त को निर्देश दिया है कि तय 35 एजेंडों पर ही बैठक में चर्चा होगी. इसके अलावा अध्यक्ष की अनुमति से ही अन्य एजेंडों को चर्चा के लिए लाया जायेगा. इसके बाद डिप्टी मेयर ने भी मोर्चा खोल दिया है. वहीं उनके द्वारा दिये गये एजेंडों को शामिल नहीं करने को लेकर वह आक्रोशित हैं. साथ ही कहा कि अगर उनके एजेंडों को बोर्ड की बैठक में नहीं लाया जाता है तो वह बैठक का बहिष्कार करेंगे. बताते चलें कि मेयर ने इस बोर्ड बैठक के लिए 12 एजेंडों को शामिल करने के लिए नगर आयुक्त को लिखा है. जबकि डिप्टी मेयर ने 9 एजेंडा दिया था. जिसमें से एक को भी शामिल नहीं किया गया है.
एजेंडा शामिल नहीं करने का विरोध
डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय का कहना है कि क्या नगर निगम की बोर्ड बैठक में एजेंडा रखने का भी अधिकार छीन लिया गया है. कई बार मेरे माध्यम से एजेंडा दिया गया फिर भी उसे शामिल नहीं किया जा रहा. उन्होंने कहा कि मैंने जो एजेंडा दिया है उस विषय के कारण क्या निगम की बदनामी हो रही है. रांची की जनता सिर्फ कुछ लोगों को चुनाव जिताकर नहीं लायी है. अगर ऐसा है तो आगे से नगर निगम बोर्ड बैठक का कोई औचित्य ही नहीं है. वहीं मेरे एजेंडों को शामिल नहीं किया जाता है तो बोर्ड की बैठक में नहीं शामिल रहूंगा.
डिप्टी मेयर के समर्थन में आये पार्षद
डिप्टी मेयर के मोर्चा खोलने के बाद कई पार्षद भी उनके समर्थन में आ गये हैं. पार्षदों का कहना है कि एजेंडा रखने का अधिकार सभी जनप्रतिनिधि को है. फिर डिप्टी मेयर का तो संवैधानिक पद है. शहर के लोगों को उनसे आशा रहती है कि किसी भी समस्या का समाधान जल्द होगा. इसलिए उनके द्वारा निर्धारित एजेंडा को प्राथमिकता के आधार पर परिषद में शामिल करना चाहिए था. अगर उनके एजेंडा को हटाया गया है तो ये सरासर गैर संवैधानिक, गैर लोकतांत्रिक और गैर मर्यादित है. इसका विरोध होना चाहिए और ऐसी बैठक का कोई मतलब नहीं है जिसमें सभी प्रतिनिधि को बातें को रखने का अधिकार नहीं है.