चैंबर चुनाव में विवाद , सदस्य बोले-चुनाव अपारदर्शी और गलतीयुक्त, जाने पूरा मामला

रांची। चैंबर चुनाव को संपन्न हुए महज तीन दिन हुए है. इन तीन दिनों के भीतर चैंबर चुनाव कमेटी ने संथाल परगना के आयोजित क्षेत्रीय उपाध्यक्ष पद के लिये चुनाव को रद्द कर दिया. जिसका कारण बताया गया क्षेत्रीय उपाध्यक्ष पद के लिये उम्मीदवार प्रतीम गाड़िया और संजीत कुमार सिंह ने पत्र के माध्यम से चुनाव के प्रति असंतोष व्यक्त किया. वहीं, अब कार्यकारिणी चुनाव के लिये खड़े उम्मीदवार भी चैंबर चुनाव पर सवाल खड़ा करने लगे है. एक अन्य प्रत्याशी ने चैंबर चुनाव कमेटी के चेयरमैन ललित केडिया और को चेयरमैन पवन शर्मा के नाम पत्र लिखा है. जिसमें बताया गया है कि चैंबर को अब जागने की जरूरत है. चैंबर की ऑफिस व्यवस्था, मेंबरशिप अपडेट बिल्कुल असंतोषजनक है. यहां तक कि चुनाव पद्धति बिल्कुल अपारदर्शी है.

क्षेत्रीय चुनाव गलतियों से परिपूर्ण: पत्र में लिखा गया है कि संताल परगना क्षेत्र के उपाध्यक्ष पद के लिये चुनाव गलतियों से परिपूर्ण, अपारदर्शी और मिस मैनेजमेंट के साथ संपन्न हुआ. यह घोर निंदनीय है. इस पत्र में चुनाव पदाधिकारियों के कार्यशैली पर सवाल खड़े किये है. जिसमें बताया गया है कि गलतियों के बावजूद दोनों चुनाव पदाधिकारियों ने परिणाम घोषित करने में मनमानी किया. क्षेत्रीय उम्मीदवारों को पदाधिकारी संतुष्ट नहीं कर पायें और जबरन उम्मीदवारों को संतुष्ट करने के बदले चुनाव को ही रद्द कर दिया.

चुनाव रद्द करने का क्या विशेषाधिकार: इस पत्र में चुनाव रद्द करने को लेकर चुनाव पदाधिकारियों के विशेषाधिकार पर भी सवाल खड़े किये गये है. पत्र में जिक्र है कि सुदूर संताल क्षेत्र से 43 लोग वोट देने आयें. सबका समय और पैसा बर्बाद हुआ और चैंबर ने मनमाना रवैया दिखा चुनाव रद्द कर दिया. चुनाव रद्द करने का कारण क्या कमेटी के विशेषाधिकार में है. क्या मतदाताओं और उम्मीदवारों का अपने मतों और उसकी गिनती के बारे में जानने का अधिकार नहीं है. आखिर वे चुनाव रद्द करने से पहले दोनों प्रत्याशियों के ऑब्जेक्शन का जवाब क्यों नहीं दे रहे. कुल पड़े मतों की संख्या में अंतर और मतों की गिनती में अपने मन से कुछ मतों को बाहर कर देने का फैसला चुनाव पदाधिकारी कैसे ले सकते हैं. ऐसे चुनाव की जिम्मेदारी तय होनी चाहिये.

असंतोषजनक व्यवहार से बचें चैंबर: पत्र में लिखा है कि चैंबर को ऐसे व्यवहार से बचना चाहिये. क्षेत्रीय उपाध्यक्षों में जिलों के चैंबर और एफिलिएटेड संगठनों के साथ असंतोषजनक व्यवहार और फरमान जारी करने से फेडरेशन को बचना चाहिए. चैंबर को इस मामले में एकता बनाने की जरूरत है.

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