रांची। रांची नगर निगम बोर्ड की बैठक शुक्रवार को होनी है. अब इस बैठक को लेकर विवाद शुरू हो गया है. डिप्टी मेयर से लेकर पार्षद सभी इसके विरोध में है. वहीं जल्द ही डिप्टी मेयर ने इस मामले में पीआईएल करने की बात कही है. जिसके बाद पार्षदों का भी समर्थन डिप्टी मेयर को मिलने लगा है. सभी पार्षद भी जनप्रतिनिधियों के अधिकारों के हनन को लेकर एकजुट हो गए है. इतना ही नहीं शुक्रवार को बोर्ड की बैठक बुलाए जाने का मामला भी तुल पकड़ गया है. कुछ पार्षदों ने इसका भी विरोध शुरू कर दिया है. बताते चलें कि बोर्ड की बैठक में एजेंडा को लेकर मेयर ने नगर आयुक्त को निर्देश दे दिया है कि इसके 35 एजेंडा के अलावा किसी और एजेंडे को शामिल नहीं किया जाएगा. अगर किया भी जाएगा तो इसके लिए अध्यक्ष से अनुमति लेनी होगी.
कुछ पार्षद बैठक बुलाने से संतुष्ट
लंबे समय से रांची नगर निगम की बोर्ड बैठक नहीं बुलाई जा रही थी. जबकि हर महीने की 10 तारीख तक बोर्ड की बैठक बुलाने का निर्णय बोर्ड में ही पास किया गया था. अब नगर निगम की बैठक 16 सितंबर को बुलाई गई है. जिससे की कई पार्षद खुश है. उनका कहना है कि इस बैठक से विकास की रफ्तार बढ़ेगी.
क्या कहते है पार्षद
वार्ड 34 के पार्षद विनोद सिंह का कहना है कि निगम के सभी जनप्रतिनिधियों को अपने अधिकार के लिए अब तो लगता है कोर्ट की शरण में जाना होगा. जनप्रतिनिधियों की आवाज को दबाने का प्रयास पिछले कई वर्षों से लगातार किया जा रहा है. यह रांची के विकास में बाधक है. वार्ड 26 के पार्षद अरुण कुमार झा कहते है कि परिषद की बैठक से पहले एजेंडा काटा जाना कहीं ना कहीं परिषद के निर्णय लेने के अधिकार काटे जाने के बराबर है. जब परिषद का अधिकार ही नहीं रहेगा तो ऐसे बैठक का कोई मतलब नहीं होता. परिषद के सभी सम्मानित सदस्य कहीं ना कहीं के प्रतिनिधि होते है. सभी का एजेंडा सम्मानजनक है और उस पर चर्चा के बाद जन हित में निर्णय लेना चाहिए.
वार्ड 27 के पार्षद ओमप्रकाश कहते हैं कि यह सरासर गलत है और जनप्रतिनिधियों का मनोबल तोड़ने की कोशिश हो रही है. पूरे नगर निगम में सिर्फ एक आदमी की चल रही है. हम सभी इसका विरोध करते है. पार्षद अपना एजेंडा रखना चाहता है तो रख सकता है. फिर डिप्टी मेयर का एजेंडा भी काट दिया गया जो कि गलत है. वार्ड 21 के पार्षद मो एहतेशाम का कहना है कि बोर्ड कि बैठक में लिया गया निर्णय सर्वोपरी है. पूर्व में यह बोर्ड में तय हुआ था शुक्रवार को बोर्ड की बैठक नही होनी चाहिए. फिर भी बोर्ड की बैठक शुक्रवार को बुलाई गई है. मेयर,डिप्टी मेयर और कमिश्नर को भी इस निर्णय का सम्मान करना चाहिए. इस निर्णय को बोर्ड के लिए छोड़ दिया जाए. वार्ड 16 की पार्षद
नाजिमा रजा कहती है कि सभी प्रतिनिधि जनता की समस्या को ही बोर्ड में रखना चाहते है. कोई अपने घर की बातों को हाउस में नहीं लाता. इसलिए जनप्रतिनिधियों को सम्मान मिलना चाहिए. और डिप्टी मेयर तो 53 वार्डों के मुद्दों को बोर्ड में लाते है. फिर भी ऐसा व्यवहार गलत है.