रांची। राजधानी के दुर्गाबाड़ी में इस बार पारंपरिक रूप से महालय के अवसर पर महिषासुर मर्दिनी के मंचन की तैयारी की गई है. 25 सितंबर को शाम 6 बजे कार्यक्रम आयोजित होगा. इसका मंचन रिंकू डे और उनकी टीम द्वारा किया जा रहा है. इस कार्यक्रम को लेकर कलाकारों में जबरदस्त उत्साह है. फाइनल प्रैक्टिस में जुटे कलाकारों का मानना है कि कोरोना के कारण दो साल से यह फीका था मगर इस बार दुगनी उत्साह के साथ मां की आराधना होगी. वहीँ, मजलिस की ओर से मेकन सामुदायिक भवन में शाम 7:00 बजे से महिषासुर मर्दिनी का मंचन किया जाएगा.
क्या है महालया का महत्व
महालया, पितृपक्ष और मातृपक्ष यानी देवी पक्ष के मिलन को कहा जाता है जो आध्यात्मिक दृष्टि से काफी महत्व रखता है. यह दिन न केवल पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है, बल्कि इसे सत्य, साहस के विजय के रूप में भी मनाया जाता है. दरअसल, हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भैंस दानव, भगवान ब्रह्मा ने महिषासुर को अजेयता का वरदान दिया था. जिसका अर्थ है कि कोई भी मनुष्य या भगवान उसे मार नहीं सकता है लेकिन, महिषासुर ने इस वरदान का दुरुपयोग किया और ब्रह्मांड में तबाही मचानी शुरू कर दी. इस विनाश को समाप्त करने के लिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु के साथ आदि शक्ति की आराधना की. इस दौरान सभी देवताओं के शरीर से एक दिव्य रोशनी निकली जिसने देवी दुर्गा का रूप धारण कर लिया. महिषासुर के नाश के लिए देवी दुर्गा का आह्वाहन महालया के दिन ही किया गया था. इसके बाद दोनों का युद्ध चला और दशमी के दिन देवी दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का अंत कर दिया. इसलिए नवरात्रि की शुरुआत महालया से होती है, इस दिन श्रद्धालु मां दुर्गा को अपने घर लाते हैं और इसके 10 दिन बाद विजयादशमी मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई जीत का प्रतीक है।