बोकारो। जिले में एक बार फिर से प्रशासन ने बुलडोजर चलाया . प्रशासन ने रेल लाइन दोहरीकरण में बाधक बने घरों को ढहा दिया . घर टूटता देख बोकारो स्टील प्लांट को जमीन देकर विस्थापित हुए लोगों की आंखों से आंसू बहते रहे.
मामला बोकारो तूपकाडीह तलगाड़िया टीटी रेलवे लाइन दोहरीकरण से जुड़ा हुआ है. उत्तरी क्षेत्र के विस्थापित धनघरी गांव के दस घर रेलवे लाइन दोहरी करण में बाधक बने थे. इन्हीं को जमींदोज किया गया. पुलिस प्रशासन का कहना है कि जिन घरों को जमींदोज किया गया है, उनमें रहने वाले परिवार रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण किए हुए हैं. इनको कई बार घर खाली करने का नोटिस दिया जा चुका था. शनिवार को इन पर कार्रवाई की गई. इधर पीड़ित परिवारों का कहना है कि उन्होंने बोकारो स्टील प्लांट को जमीन दी थी और इसके बाद यहां बसे थे. लेकिन अब बीएसएल ने चुपके से यह जमीन रेलवे को दे दी.
इधर, शनिवार को 200 से अधिक पुलिसकर्मी और अधिकारी मौके पर पहुंचे और रेलवेकर्मियों द्वारा बुलडोजर से घरों को तोड़ा जाने लगा. इस दौरान अफसरों से नोकझोंक भी हुई. इस दौरान महिलाओं की आंख से बह रहे आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. सभी अपने घरों से सामानों को निकाल कर बाहर कर रहीं थीं. इनका कहना था कि किसी ने कुछ बताया नहीं और सवेरे-सवेरे बुलडोजर चलाकर घर तोड़ दिया गया.
महिलाओं का कहना था कि अब हम कहां जाएंगे क्योंकि हमारे पास रहने के लिए कोई घर नहीं है. परिवार वाले आखिर किस तरह अपनी जिंदगी व्यतीत करेंगे. रेलवे को पहले हमें बसाने की व्यवस्था करनी चाहिए थी तब हमारे घर को उजाड़ा जाना चाहिए था. स्थानीय लोगों ने कहा कि हम विकास के विरोधी नहीं हैं. यही कारण है कि हमारे बाप दादाओं ने बोकारो स्टील के निर्माण के लिए कौड़ी के भाव में जमीनों को दे दिया. आज हम अपने मुआवजे की मांग कर रहे हैं तो बोकारो स्टील और रेलवे आपस में समझौता कर हमें उजाड़ने का काम कर रहीं हैं. लोगों ने कहा कि हमारा दर्द केंद्र सरकार को समझना चाहिए और हमें बसने के लिए जमीन और मुआवजा भी देना चाहिए.