रांची। झारखंड स्टेट बार काउंसिल द्वारा राज्य सरकार की कोर्ट फी अमेंडमेंट एक्ट को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सोमवार को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई.हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई.महाधिवक्ता राजीव रंजन की ओर से मामले में बताया गया की सरकार कोर्ट फीस बढ़ोतरी के मामले में सुधार के लिए 3 सदस्यीय समिति बनाने की प्रक्रिया में है. कमेटी की रिपोर्ट तैयार होने के बाद इसे कैबिनेट के पास विचार के लिए रखा जाएगा. जिस पर प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजेंद्र कृष्ण और एमिकस क्यूरी वरीय अधिवक्ता वीपी सिंह एवं अधिवक्ता रश्मि कुमार की ओर से कोर्ट के समक्ष यह संभावना जताई गई कि कहीं सरकार की ओर से इस प्रक्रिया के द्वारा मामले को उलझाने का प्रयास हो सकता है, क्योंकि कैबिनेट में मामले को भेजे जाने की प्रक्रिया जटिल और लंबी हो सकती है. इसलिए सरकार को ज्यादा लंबा समय देना उचित नहीं है. इसपर कोर्ट ने सरकार को कमेटी बनाने के संबंध में शपथ पत्र दायर कर बताने को कहा है. मामले की सुनवाई 28 सितंबर को होगी.
राज्य सरकार की ओर से दायर नहीं हुआ जवाब
मामले में सोमवार को भी राज्य सरकार की ओर से जवाब दाखिल नहीं किया जा सका. जबकि पिछली सुनवाई में इस मामले में राज्य सरकार की ओर से जवाब दायर करने के लिए 15 दिनों के समय की मांग की गई थी. आपको बता दें कि झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णा ने हाईकोर्ट से कोर्ट फी अमेंडमेंट एक्ट को समाप्त करने का आग्रह किया है. उनकी ओर से कहा गया कि जब तक इस मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती है, तब तक ओल्ड कोर्ट फी के माध्यम से पेमेंट करने का अंतरिम आदेश जारी किया जाए.जिसका राज्य सरकार की ओर से विरोध किया गया है.
क्यों हो रहा है विरोध
पूर्व की सुनवाई में राजेंद्र कृष्ण ने मामले में पैरवी करते हुए कोर्ट से कहा था कि कोर्ट फीस में बेतहाशा वृद्धि से समाज के गरीब तबके के लोग कोर्ट नहीं आ पायेंगे और वकीलों को भी अतिरिक्त वित्तीय भार का वहन करना पड़ेगा. काउंसिल ने यह भी कहा है कि कोर्ट फीस की वृद्धि से लोगों को सहज व सुलभ न्याय दिलाना संभव नहीं है.राज्य सरकार का कोर्ट फीस एक्ट गलत है. यह संविधान के खिलाफ है. साथ ही यह सेंट्रल कोर्ट फीस एक्ट के भी विरुद्ध है.