शारदीय नवरात्रि के पांचवें दिन सोमवार को मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की मंदिरों और पूजा घरों में की गई। इस दौरान ‘या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: के मंत्रोच्चारण से मंदिर गूंजते रहे। वृंदावन से लोहरदगा आए श्री विष्णु चित्त आचार्य व ठाकुरबाड़ी मंदिर पुजारीमोहन दास ने बताया कि कमल के आसन पर आरुढ़ होने के कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। देवी स्कंदमाता कार्तिकेय और गणेश की मां है। गणेश जी मानसपुत्र है और कार्तिक जी गर्भ से उत्पन्न हुए। ताड़कासुर का वध करने के लिए देवी पार्वती व शंकर जी ने विवाह किया। उनसे कार्तिकेय उत्पन्न हुए और उन्होंने ताड़कासुर का अंत किया। स्कंद कुमार की मां होने के कारण ही देवी पार्वती स्कंदमाता कही गई। कार्तिकेय को ही स्कंद कुमार भी कहा जाता है। इसके अलावा शहर समेत ग्रामीण क्षेत्रों में श्रद्धालुओं ने मां के दरबार में पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की। लोहरदगा गुदरी बाजार स्थित ठाकुरबाड़ी मंदिर, बोली बगीचा स्थित दुर्गा मंदिर, बस स्टैंड स्थित दुर्गा मंदिर, ईस्ट गोला रोड स्थित देवी मंदिर, बरवा टोली स्थित मनोकामना स्थित दुर्गा मंदिर, निगनी स्थित मां काली मंदिर, पावर गंज स्थित देवी मंदिर, हटिया गार्डन स्थित काली मंदिर, गायत्री मंदिर, सहित अन्य देवी मंदिरों में भक्तों का रेला उमड़ पड़ा। जहां श्रद्धालुओं ने मां भवानी के दरबार में मत्था टेका। श्रद्धालुओं ने मंदिरों में धूप-दीप जलाकर सुख समृद्धि की कामना की। भगवती का पांचवां स्वरूप नारी शक्ति और मातृ शक्ति का सजीव चरित्र है। मान्यता है कि मां अपने भक्तों पर पुत्र के समान स्नेह लुटाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां की उपासना से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। मां का स्मरण करने से ही असंभव कार्य संभव हो जाते हैं
लोहरदगा ठाकुरबाड़ी मंदिर सहित अन्य मंदिरों में भक्तों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मां स्कंदमाता की आराधना कर आशीर्वाद मांगा |
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