पेंशनरों एवं बुर्जगों के लिए बैंक में हो अलग काउंटर की व्‍यवस्‍था: विधायक भूषण बाड़ा |

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पेंशनर समाज जिला संघ का स्‍थापना दिवस सह वार्षिक अधिवेशन संपन्‍न, विधायक ने सदर अस्‍पताल में इलाज हेतु अलग से काउंटर बनाने का भी प्रशासन को दिया निर्देश |

सिमडेगा विधायक भूषण बाड़ा ने कहा कि आज पेंशनरों के समक्ष कई समस्या है। जिसे दूर करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। बैंक अधिकारी पेंशनरों एवं बुर्जगों के लिए बैंक में अलग से काउंटर की व्‍यवस्‍था करें। कोई भी पेंशनरों एवं बुर्जुगों को बैंक कर्मी सीढ़ी न चढ़वाएं। प्रशासन सदर अस्‍पताल में भी बुर्जगों एवं पेंशनरों के इलाज के लिए अलग काउंटर की व्‍यवस्‍था कराए। विधायक शनिवार को सीएम एक्‍सेलेंस बालक उवि सिमडेगा में आयोजित पेंशनर समाज जिला संघ का स्‍थापना दिवस सह वार्षिक अधिवेशन कार्यक्रम में बतौर मुख्‍य अतिथि के रुप में संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम का शुभारंभ विधायक एवं डीडीसी संदीप कुमार दोराईबुरु ने संयुक्‍त रुप से दीप जलाकर किया। कार्यक्रम समाज के अध्यक्ष इग्नेश तिर्की की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। मौके पर पेंशनरों ने भी समाज की समस्‍याओं से अवगत कराया। सचिव रामकैलाश राम ने बताया कि समाज द्वारा 95 प्रतिशत पेंशनरों की समस्‍याओं का समाधान कराया जा चुका है। इसके अलावे कोरोना काल में 11 प्रतिशत डीए का भुगतान कराने की दिशा में भी प्रयास किया जा रहा है। विधायक ने कहा कि कई बार हमारा समाज और सरकारी तंत्र पेंशनरों की समस्‍याओं को अनदेखा करते हैं। उन्‍होंने कहा कि पेंशनर हमारे समाज की जड़ें हैं। पेंशनरों को सम्मान दिए बिना हम सभी बेकार हैं।

पेंशनरों के पास लंबे समय तक काम करने का अनुभव है। ज्ञान का भंडार पड़ा हुआ है। हम में से प्रत्येक लोगों को खासकर अधिकारियों एवं कर्मचारियों को इनसे सीखने की जरूरत है। विधायक ने कहा कि बैंकों में इनके लिए अलग से काउंटर की व्यवस्था नजर नहीं आती। चढ़ने तक कि ताकत नहीं रहने के बावजूद कई बार इन्हें सीढियां चढ़नी पड़ती है। कतार में घंटो खड़ा होना पड़ता है। बैंक कर्मी इस समस्‍या का जल्‍द समाधान करें। उन्‍होंने कहा कि पेंशनरों की अन्य जो जटिल समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री अथवा न्यायालय तक जाना पड़े तो जाएंगे। लेकिन पेंशनरों को कोई भी परेशानी होने नहीं देंगे। विधायक ने कहा कि धुनिकता के इस चका चौंध में हम अपने बुजुर्ग माता पिताओं का सम्मान नहीं करते हैं। याद रखें हम सब कुछ बदल सकते हैं, लेकिन पूर्वज नहीं। जिस परिवार में बड़े बुजुर्गों का सम्मान नहीं होता उस परिवार में सुख, संतुष्टि और स्वाभिमान नहीं आ सकता। हमारे पेंशनर बड़े बुज़ुर्ग, हमारा स्वाभिमान हैं, हमारी धरोहर हैं। उन्हें सहेजने की जरूरत है। यदि हम परिवार में स्थायी सुख, शांति और समृध्दि चाहते हैं तो परिवार में इनका सम्मान करना होगा।

विधायक ने कहा कि दुख तब होता है जब हमारे पेंशनरों एवं बुर्जगों को दर दर की ठोकरें दिलाने को मजबूर करने वाले लोग कहीं बाहर से नहीं, बल्कि उनके घर परिवार के उनके बच्चे ही आते हैं, जो दुख का विषय है। जिनके कारण धरती पर भगवान का रूप कहे जाने वाले इन बुर्जगों को अपने बच्चों के होते हुए दर-दर भटकना पड़ता है। आज हर जिले में सरकार को वृद्धाश्रम खोलने की ज़रूरत महसूस हो रही है। क्या हमारे माता-पिता की ज़िम्मेदारी सरकार की है। हमारा उनके प्रति कोई उत्तरदायित्व नहीं। क्यों आधुनिकता की अंधी दौड़ में भागते हुए हम अपने कर्तव्यों व संस्कारों को भूलते जा रहे हैं। इस पर सुधार करने की जरुरत है। कार्यक्रम में जिप सदस्‍य शांतिबाला केरकेट्टा, नगर विधायक प्रतिनिधि शकील अहमद, इम्तियाज हुसैन, समाज के संरक्षक साधु मलुआ, उपाध्यक्ष ग्लोरिया सोरेंग, देवेन्द प्रसाद तिवारी सहित समाज के कई लोग उपस्थित थे

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