करनडीह स्थित एलबीएसएम कॉलेज में शनिवार को ‘ग्लोबल इश्यूज इन मल्टी डिसिप्लिनरी एकाडेमिक रिसर्च’ विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार आरंभ हुआ. इसमें मुख्य अतिथि कोल्हान विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति और ओड़िशा के राज्यपाल की शैक्षणिक सलाहकार डॉ शुक्ला मोहंती ने कहा कि इस तरह के सेमिनार राष्ट्रीय विकास का हिस्सा होते हैं. उन्होंने शिक्षा जगत में तकनीकी के उपयोग और उसमें तीव्र गति से हो रहे परिवर्तन की चर्चा की. उन्होंने बताया कि ग्लोबल समस्याओं, खासकर जलवायु परिवर्तन, वैश्विक उष्मण, समाजिक विषमता और असमानता, प्रवास, पर्यावरणीय समस्यायों के समाधान में सूचना प्रौद्यिगिकी बहुत उपयोगी हो सकती है. उन्होंने वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए मल्टी डिसीप्लिनरी रिसर्च की जरूरत पर जोर देते हुए बताया कि ज्ञान के सारे क्षेत्र परस्पर संबद्ध हैं. कोविड ने भी मल्टी डिसीप्लिनरी रिसर्च की जरूरत को सामने लाया है. उन्होंने कहा कि सबसे महत्त्वपूर्ण शिक्षा है. हमें साक्षर नहीं, बल्कि शिक्षित होना है. हर तरह की गैरबराबरी को दूर करने के लक्ष्य को ध्यान में रखकर हमें एकाडेमिक रिफार्म करना चाहिए. उन्होंने भूमंडलीकरण और आर्थिक विकास के संदर्भ में भी बहु-अनुशासनिक शैक्षणिक सुधारों पर जोर दिया. उन्होंने भाषाओं के बीच अनुवाद किये जाने और स्थानीय इतिहास, भूगोल, भाषा, संस्कृति को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना चाहिए
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वैश्विक मुद्दों पर शोध एक चुनौती है : डॉ राजेंद्र भारती
कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ राजेंद्र भारती ने कहा कि मल्टीडिसीप्लिनरी रिसर्च यानी बहु-अनुशासनात्मक शोध की प्रक्रिया की चुनौतियों की ओर संकेत किया. उन्होंने कहा कि वैश्विक मुद्दों पर शोध के दौरान जिन चीजों पर जिस स्तर और गहराई से ध्यान देना चाहिए. आम तौर पर उस पर ध्यान नहीं दिया जाता. उन्होंने अंर्तअनुशासनिक और बहुअनुशासनिक रिसर्च की जरूरत पर जोर देते हुए उदाहरण दिया कि टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में जो उपलब्धियां हैं. उनका पॉलिटिकल इंप्लीमेंट कैसा हो रहा है, सामाजिकता पर उसका क्या प्रभाव पड़ रहा है, इन सब चीजों पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि रिसर्च की प्रक्रिया निरंतर जारी रहती है. कोई भी शोध अपने निष्कर्षों में अंतिम नहीं होता, उसमें भविष्य के शोध के लिए संभावनाएं शेष रहनी चाहिए