महेशपुर विधानसभा से चुनावी टिकट पर किन उम्मीदवारों पर लगेगी मुहर?

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यासिर अराफ़ात @झारखंड उजाला ब्यूरो।

पाकुड़ ( महेशपुर) : झारखंड में विधानसभा चुनाव नजदीक है. हालांकि इसकी अभी तक औपचारिक तौर पर तिथि की घोषणा नहीं हुई है. चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है संभावित उम्मीदवारों के दिल की धड़कनें तेज होती जा रही है. हालांकि अभी तक किसी भी पार्टी ने अपने अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. लेकिन अगर सूत्रों की माने तो टिकट के दावेदार इस आशा और उम्मीद में बैठे हैं कि कहीं मेरा नाम टिकट लिस्ट में आ जाए. महेशपुर विधानसभा से झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रोफेसर स्टीफन मरांडी जो अभी तक महेशपुर विधानसभा से विधायक है उनके ऊपर भी लोगों की निगाहें टिकी हुई नजर आ रही है. वह इसलिए क्योंकि हाल ही में उन्होंने अपनी बेटी सुबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं उनके धर्मपत्नी तथा गांडेय विधायक कल्पना सोरेन मुर्मू से मुलाकात की थी . प्रोफेसर की बेटी की एक तस्वीर सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रही है जिसमें सीएम तथा उनकी धर्मपत्नी उन्हें आशीर्वाद देते हुये नजर आ रहे है. इस फोटो से लोगों में यह चर्चा का विषय बन गया है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में क्या विधायक प्रोफेसर स्टीफन मरांडी की बेटी को झारखंड मुक्ति मोर्चा से महेशपुर विधानसभा के लिए उम्मीदवार के तौर पर घोषणा होगी? क्योंकि सूत्रों की जानकारी के अनुसार फिलवक्त के विधायक प्रोफेसर स्टीफन मरांडी अस्वस्थ नजर आ रहे हैं. वहीं दूसरी ओर झारखंड मुक्ति मोर्चा की सक्रिय नेता तथा जिला परिषद अध्यक्ष जूली हेंब्रम के बारे में भी स्थानीय लोगों में चर्चा हो रही है

. जिसका मुख्य कारण जानकार यह बता रहे हैं कि श्रीमती हेंब्रम पिछले 15 सालों से झारखंड मुक्ति मोर्चा की वफादार सिपाही रही है. साथ ही क्षेत्र में उनकी एक अलग ही सकारात्मक वाली छवि है. जिसका मुख्य कारण जानकार यह बता रहे हैं कि श्रीमती हेंब्रम महेशपुर विधानसभा की ही बेटी और बहू भी है. स्थानीय होने के नाते लोगों में उनके बारे में टिकट को लेकर चर्चा देखी जा रही है. महेशपुर विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस पार्टी के चाहने वाले लोगों के अंदर दाऊद मरांडी को लेकर भी चर्चा देखने और सुनने को मिल रही है. क्योंकि दाऊद मरांडी की अपने क्षेत्र में काफी लोकप्रियता बताई जाती है. वह स्थानीय के साथ-साथ जमीनी नेता भी माने जाते हैं. अपने विधानसभा क्षेत्र में उनकी एक अच्छी और मजबूत पकड़ मानी जाती है. लेकिन यहां पर सवाल यह खड़ा होता है गठबंधन के ऊपर. वह इसलिए कि गठबंधन होने के पश्चात भी यह क्षेत्र झारखंड मुक्ति मोर्चा की ही रही है. क्या इस बार कांग्रेस इस सीट से अपना दावेदार का दावा ठोकेगा. वहीं अगर भाजपा की बात करें तो इस बार के चुनाव में पूर्व डीएसपी नवनीत हेंब्रम इस क्षेत्र से अपनी किस्मत भाजपा की टिकट से आजमा सकते हैं. हालांकि यह अभी तक तय नहीं हुआ है कि भाजपा की तरफ से उन्हें टिकट मिलेगी या अन्य को. परंतु हाल ही के दिनों में अपने पद से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्वसरमा से मुलाकात की थी. जिससे यह कयास लगाया जा रहा है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा से नवनीत हेंब्रम अपनी किस्मत आजमा सकते हैं. वहीं जानकार बताते हैं कि कुछ ऐसे भी चेहरे है जो कैमरे के सामने आना तो नहीं चाहते परंतु अपने दिल ही दिल में इच्छा रखते हैं की पार्टी अगर उन्हें मौका दे तो स्थानीय होने के नाते वे चुनावी मैदान में उतर सकते हैं

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